वजन घटाओ

         
       डा. सुरेंद्र सिंह
इस जमाने में वजन घटाने के नाम पर जो कुछ भी हो जाए, वह थोड़ा है। वजन घटाना फैशन सा है। जिसे देखो वजन घटाने में लगा है। अभी एक दिन सुबह-सुबह एक पुराने मित्र से भेंट हो गई। चेहरे पर दिन के बारह बजे थे, आंखें अंदर घुसी जा रही थीं, हड्डियों पर नाममात्र को गोस्त था । मेरे से नहीं रहा गया, -‘‘भाई बहुत बीमार रहे हो?’’ उसने झट कह दिया-‘‘वजन घटा रहा हूं’’।
वजन घटाने के नाम पर कुछ भी कह दीजिए, चलेगा। किसी भी डाक्टर के पास जाओ, तमाम सारी दवाएं लिखने के बाद वजन घटाने के लिए जरूर कहेगा। यह ऐसे ही है जैसे वैद्यजी हर बीमारी के इलाज के लिए दवाओं के साथ पथ्य के रूप में नौन, मिर्च, तेल, घटाई का परहेज जरूर बताते हैं।  यदि उनकी दवाओं से मरीज को फायदा न हुआ तो झट से कह देते हैं, परहेज ठीक से नहीं किया होगा? परहेज के साथ गुजाइंश रहती है, अगर- मगर करने की। वही सुविधा वजन के नाम पर है।
मेरे को डाक्टरों ने वजन घटाने की बात नौ के पहाड़े की तरह इतनी रटवाई कि वजन घटाते-घटाते पुन: बीमार हो गया। अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। चार बोतलें खून की चढ़वाईं। तब जाकर जान मे जान आई। इसके बाद एक पड़ोस के पार्क में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर वाले मिल गए। उन्होंने खुशामद करके वजन तोला। मैंने समझा आज के जमाने में ये बड़े भले आदमी हैं।  इसके साथ उन्होंने एक पर्चा थमा दिया-‘‘आपका वजन ११ किलो बढ़ा हुआ है’’। मुझे चक्कर आने लगे अभी तो एक महीना भी नहीं हुआ अस्पताल से लौटे। यह क्या हो गया? वजन कहां होकर बढ़ गया? मैंने पूछा-‘‘ कैसे घटाओगे, एक बार तो वजन के चक्कर में जैसे-जैसे बच सका हूं। दोबारा आप लोग क्या करेंगे? क्या पार्क में टहलने से काम न चलेगा?’’ -‘‘टहलने के लिए तो आप टहलते रहें, हम तो अच्छे खाने पीने के माध्यम से वजन घटाकर आपको स्वस्थ बनाएंगे।’’ -‘‘क्या खिलाएंगे?’’-‘‘३५ प्रकार के फल, नाम भी नहीं सुने होंगे’’। -‘‘सात दिन में दो किलो वजन कम कर देंगे’’। -‘‘फीस कितनी लेंगे?’’-‘‘सात हजार’’। मैंने उन्हें किसी तरह टाला। तब से आए दिन उनका ्रफोन आता रहता है-‘‘ कब आ रहे हैं अस्पताल वजन घटाने को?’’
वजन घटाने के तमाम फंडे हैं। ये फंडे समय-समय पर बदलते रहते हैं। कुछ सालों पहले घासलेट को शरीर का दुश्मन नंबर एक बताते थे। इसके बाद सरसों का तेल घातक बताने लगे। इसके बाद मिलावटी सरसों का तेल। रिफाइंड कुछ दिनों तक वजन घटाने के फार्मेले में चली। फिर देशी घी, वनस्पति घी, सरसों के तेल समानुपात में मिश्रित उपयोग की बारी आई। अब फिर कुछ लोग देशी घी पर आ गए हैं। चावल, आलू, चीनी, घी की वर्जना ऐसे बताई जा रही है, जैसे वैद्यजी का पथ्य। कुछ लोग नई रिसर्च के नाम पर आलू को भी वजन घटाने में सहायक बताने लगे हैं।
टीवी पर वजन घटाने की मशीनें तो बहुत चल रही हैं, बहुत दिनों से चल रही हैं, जो बैठे-बैठे वजन घटाने का दावा करती हैं। अभी अभी एक टीवी पर एक ज्योतिषीजी बता रहे थे-‘‘रंगों के प्रयोग से भी वजन घटाया जा सकता है’’। ये हुई एकदम नई बात। चाहें तो परफ्यूम वाले कह सकते हैं कि उनके परफ्यूम से भी वजन घट सकता है, यह इससे भी नई बात होगी। कपड़े वाले भी प्रचार कर सकते हैं उनके फलां सूट वजन घटाने वाले हैं। कहने में क्या हर्ज है, कुछ भी कह दो, दुकान चलनी चाहिए। कौन परखने बैठा है, जब तक परख होगी तब तक तो दुकान चल निकलेगी।  इसके बाद क्या होगा, कल किसने देखा है।

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