प्रधान सेवक

    
             डा. सुरेंद्र सिंह
अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री नही हैं, प्रधान सेवक हैं। चुनाव के दौरान भी उन्होंने बोला था अब जबकि उनके कार्यकाल को एक साल पूरा हो चुका है, उन्हें याद है। वह अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास नहीं कर रहे।  तीन लोक से न्यारी मथुरा के फरह स्थित दीनदयाल धाम में २५ मई २०१५ को भी उपलब्धियों के साथ इसकी घोषणा कर दी है।
लकीर हमेशा बड़े लोग बनाते हैं, छोटे उस पर चलने के लिए बने होते हैं। गृह मंत्री चाहें तो अपने को गृह सेवक कह सकते हैं। वित्त मंत्री भी अपने को वित्त सेवक कह सकते हैं। केंद्र सरकार के जो मंत्री अपने को मंत्री कहेंगे वे अनुशासनहीन माने जाएंगे और जो सेवक कहलाएंगे वे अनुशासित, आज्ञाकारी, पुरस्कार के हकदार।  मंत्री के स्थान पर सेवक कहलाने में अनेक सुविधा हैं। मंत्री के स्तर से कोई काम न होने का उलाहना दे तो झट कह सकते हैं, वह मंत्री नहीं सेवक है।
अपने अखिलेश भइया के लिए अगला समय चुनौती भरा है। इसके बाद उन्हें चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुजरना है। वे चाहे तो मोदीजी का अनुसरण कर सकते हैं। अच्छी बातें दुश्मनों से भी सीखने में हर्ज नहीं। मुख्यंमंत्री की बजाय मुख्य सेवक बनकर वे अपनी कुछ मुश्किलों से बच सकते हैं। चुनाव के दौरान जनता से भी कह सकते हैं-मैं तो मुख्य सेवक रहा हूं, मुख्यमंत्री नहीं।
इसी तरह अधिकारी भी अपने पदों के आगे सेवक शब्द जोड़कर अपनी-अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ सकते हैं। तंत्री बनना सबसे आसान और अचूक फार्मूला है। यह भी कह सकते हैं कि अब मंत्रियों का नहीं सेवकों का जमाना है। कुछ सालों तक तो यह खरे सिक्के की तरह चलेगा। जब यह घिस जाएगा तो कुछ और नया शब्द आ जाएगा। इसके लिए शब्दों के जादूगर हमारे बीच हैं। कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं। विदेश वाले  चाहे बहुत सी चीजों में हमसे आगे हैं, लेकिन अपने सर के आगे पानी भरते नजर आते हैं, वे क्या खाकर ऐसा करेंगे। चाहें तो अगले चुनावो में विदेश वाले हमारे यहां से ऐसे शब्दों और फार्मूलों का आयात कर सकते हैं।
मैरिज होम, नर्सिंग होम, दुकानें भी सेवक के नाम से चल सकती हैं। यदि कोई उत्पादन बाजार में नहीं चल पा रहा है तो उसके साथ सेवक जोड़ दीजिए, फर्राटे से दौड़ेगा। सेवक के नाम से नया सामाजिक संगठन खड़ा किया जा सकता है। उसके नाम से न केवल चंदा इकट्ठा किया जा सकता है बल्कि भीड़ भी जुटाई जा सकती है, लोग समझेंगे यह सरकारी नाम है। एनजीओ भी सेवक के नाम से चला सकते हैं, इसके लिए प्रोजेक्ट की मंजूरी आसानी से हो जाएगी।
 
   

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