गधे के सींग
-डा. सुरेंद्र सिंह इस कोरोना युग में कुछ लोग बहुत सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता और बुद्धिमता दोनों देखते और दाद देते बन रही हैं। जहां लोग हाथ पै हाथ धरे बैठे हैं। कभी छत पर तो कभी नीचे। कभी आंगन में तो कभी कमरे में। कभी टीवी पर तो कभी फोन पर। पर वे ऐसा बहुत कुछ कर -गुजर रहे हैं जो न भूतो न भविष्यति। ऐसे मौके हमेशा और हर किसी के भाग्य में नहीं। हर किसी के वश में भी नहीं जो दिन दहाड़े किसी की भी आंखों में धूल झोंक सके। अखबारों में बड़े-बड़े अक्षरों में छपा है कि आन लाइन परीक्षाएं कराएंगे। ऐप्प तैयार है। पहले आवासीय संस्थानों को लेंगे। इसके बाद संबद्ध महाविद्यालयों को। आन लाइन ही फीस ले लेंगे और आन लाइन ही रिजल्ट देंगे, तुरंत दान महा कल्याण । है न कमाल? लौकडाउन चलता है, चलता रहे, उनकी बला से। उनका काम न रुकेगा। आगे की दुनिया इसी तरह से चलेगी। प्रदेश में ऐसा करने वाले वे सर्वप्रथम होंगे। खूब बधाइयां आ रही हैं, मान गए गुरू, आपने तो कमाल कर दिया। एक ही बार में छक्का नहीं अट्ठा मार दिया। अब करे कोई मुकाबला। यह है छठी इ