पर उपदेश कुशल बहुतेरे
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माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कोरोना को लेकर देश के नाम अपने सातवें संबोधन में बहुत महत्वपूर्ण बातें कहीं। जिसे लेकर आजकल देश भर में चर्चा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की स्थिति संभली हुई दिख रही है लेकिन कोरोना अभी गया नहीं है। उन्होंने यूरोप और अन्य देशों का हवाला देते हुए कहा कि यदि लापरवाही वरती तो यह दोबारा लौट भी सकता है, इसलिए सावधानी बरतें। दो गज की दूरी यानि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें। प्रधानमंत्री ने ये बातें ऐसे समय में कही हंै जबकि कोरोना के आंकड़े नियंत्रण में दिखाए देने के बाद नागरिक सोशल डिस्र्टेंसग और मास्क को भुलाने लगे हैं। समय भी इसके लिए उपयुक्त है। ये बातें उसी तरह हैं जिस तरह परिवार का एक मुखिया अपने बच्चों को अच्छी-अच्छी सीख देता रहता है। यह कह कर मोदी जी देश रूपी परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? यदि लोग अच्छी सीख से ही लोग सुधर रहे होते तो फिर कानून बनाने की क्या जरूरत थी। स्कूलों में अध्यापक और घरों में परिवार के मुखिया बच्चों को चोरी नहीं करने,सदा सच बोलने, दूसरों