राम कथा पार्ट-7 उत्तरकांड
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अयोध्या में श्रीराम सहित सीताजी और लक्ष्मण का बहुत ही जोरदार स्वागत किया गया। पूरे नगर को भव्यता के साथ सजाया गया। घर-घर घी के दीपक जलाए । भरत और हनुमान आपस में मिले , फिर राम और भरत। राम के राज्याभिषेक के बाद वानरों और निषादराज को विदाई दी गई। सीताजी के दो पुत्र हुए , लव और कुश। अयोध्या में प्रभु श्रीराम ने अनेक वर्षों तक राज किया। करोड़ों अश्वमेध यज्ञ किए। उनके राज में सभी नरनारी , पशु पक्षी तक बहुत सुखी थे। कोई बीमार नहीं होता था। अल्प आयु में किसी की मृत्यु नहीं होती थी। धन धान्य की कोई कमी नहीं थी। वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या में राज तिलक के बाद श्रीराम ने लोकनिंदा के भय से सीताजी का परित्याग कर दिया। सीताजी वाल्मीकि के आश्रम में रहीं। यहीं पर उन्होंने लव-कुश नाम से दो पुत्रों को जन्म दिया। कुछ सालों बाद जब राम द्वारा रायसूय यज्ञ किया गया तो बालक लव-कुश ने उनके घोड़े को बांध कर युद्ध में रामदल को पराजित किया। हनुमान समेत राम के भाइयों को बंदी बना लिया। सीताजी ने यहां सभी को छुड़वाने के बाद अपने दोनों पुत्रों को राम के हवाले कर फिर एक बार अपने सतीत्व की परीक्ष