दुनिया में राम कथा

 


                          


                               


राम कथा यूं तो बहुत हैं, न केवल हिंदी बल्कि संस्कृत, तमिल, बंगला और अन्य भाषाओं में भी राम कथा हैं।  सबसे पहली राम कथा महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखी। इसे आदि काव्य भी कहा जाता है और वाल्मीकि को आदि कवि। इनके अलावा कंबन रामायण, अध्यात्म रामायण, आनंद रामायण, वेदव्यास की अद्भुत रामायणहैं।  ये सभी प्राचीन राम कथा हैं। लेकिन जिस राम कथा ने भारतीय जनमानस को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह गोस्वामी तुलसीदास की राम चरितमानसहै।  तुलसीदास जी के बाद भी अनेक कवियों ने राम कथा पर लेखनी चलाई। रीतिकाल में केशवदास जी ने रामचंद्रिकानाम से राम कथा लिखी जो काव्यगत मानकों के लिहाज से कहीं श्रेष्ठ है लेकिन अपनी जटिल भाषा के कारण जनमानस में वह स्थान नहीं पा सकी जो रामचरितमानस को प्राप्त हुआ। आधुनिक काल में महाकवि मैथिली शरण गुप्त ने साकेतनाम से राम कथा रची। इसके बाद भी राम कथा लिखे जाने का सिलसिला अनवरत जारी है। कई फिल्में, सीरियल, नृत्य-नाटक भी इस पर हैं।

 मौजूदा समय में पूरे विश्व में तीन सौ से ज्यादा प्रकार की रामायण हैं। थाईलैंड में राम कियेनके नाम से रामायण है। थाई भाषा में यह वाल्मीकि रामायण ही है जो यहां का राष्ट्रीय ग्रंथ है। चीन में रामायण  दशरथ कथानकके नाम से है, जिसमें वह जंबू द्वीप के सम्राट बताए गए हैं। मलेशिया में हिकायत सेरीनामसे रामायण है जिसमें रामायण की शुरुआत रावण के जन्म से शुरू होती है। इसलिए मलेशिया को रावण के नाना का राज्य कहा जाता है।  इंडोनेशिया के जावा में रामायण काकावीनहै। श्रीलंका में जानकी हरणके नाम से रामकथा है। रुसी, डच, फ्रैंच, अंग्रेजी में भी रामायण के अनुवाद हैं। रूस के वारान्निकोव ने बीसवीं सदी में रामचरित मानस का रूसी भाषा में अनुवाद किया।

रामकथा की शुरुआत कुछ इस तरह होती है। गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार एक बार भगवान शिव सती माता के साथ अगस्त्य ऋषि के आश्रम में गए। उन्होंने उनसे राम कथा सुनी। बाद में भगवान शिवजी ने यह कथा माता पार्वती को सुनाई। इसके बाद योग्य पात्र समझकर कागभुशुण्डिं को सुनाई। यह भी कहा जाता है कि एक बार जब शिवजी पार्वती को रामकथा सुना रहे थे, तब घोंसले में बैठा एक काक रामकथा सुन रहा था। पार्वतीजी सो गईं लेकिन काक कथा सुनता रहा। हजारों साल बाद उसने काकभुशुण्डि के रूप में जन्म लिया। तब कागभुशुण्डि ने यह कथा गरुड़ को सुनाई। इसके अलावा मुनि याज्ञवल्क जी को सुनाई। याज्ञवल्क जी ने यही कथा ऋषि भारद्वाज जी को सुनाई। उसी कथा को तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है। तब से यह कथा निरंतर एक दूसरे द्वारा करोड़ों करोड़ लोगों द्वारा एक दूसरे को सुनाई जा रही है।

अब सवाल है कि रामकथा कितनी प्राचीन है? कुछ लोग वाल्मीकि रामायण का रचना काल ईसा के आसपास मानते हैं। कुछ विद्वान इससे पहले तो कुछ इसके बाद में। गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस 16वीं सदी में रची गई। जहां तक राम के कार्यकाल का सवाल है, यह इससे भी बहुत  ज्यादा प्राचीन है। रामायण  मीमांसा के रचनाकार स्वामी करपात्री, गोवर्धनपुरी शंकराचार्य पीठ के  पं. ज्वाला प्रसाद मिश्र, राघवेंद्रचरित के रचनाकार श्रीभागवतानंद गुरू आदि के अनुसार श्रीराम अवतार  श्वेतबराह कल्प के सातवें वैवस्वत मन्वंतर के चौबीसवें  त्रेतायुग में हुआ जिसके  अनुसार राम का जन्म अयोध्या में अब से लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व हुआ। राम कथा अनेक पार्ट में क्रमशः

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