दारा सिंह का कुत्ता
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जी हां यहां उन्हीं दारा सिंह की बात है जिन्होंने पहलवानी के मामले में भारत का दुनियाभर में नाम रोशन किया, जो कभी रुस्तमे हिंद रहे। उन्होंने अपने से करीब दुगने वजन के पहलवान किंग कौंग को चारों खाने चित्त किया, जीवन में एक भी कुश्ती नहीं हारी। इसके बाद उन्होंने सौ से ज्यादा फिल्मों में काम किया, उनके हनुमानजी के किरदार को सबसे ज्यादा सराहा गया। हां, उन्हीं का कुत्ता। कैसा होगा? जरा सोच कर बताइए? कुछ लोग कहेंगे, उनके जैसा ही बलिष्ठ जर्मन शैफर्ड या अन्य किसी विशेष प्रजाति का होगा। तो कुछ लोग हाथ कंगन को आरसी क्या, गूगल पर तुरंत सर्च करने लगेंगे, कुत्ता था भी या नहीं। मत सर्च करिए। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, उनके पास कुत्ता था या नहीं क्योंकि कुत्ते की उन्हें जरूरत ही क्या होगी। उनके डर से वैसे ही चोर उचक्के घर के पास नहीं फटकते होंगे। बात जब कुत्ते की चली है तो ‘धोबी का कुत्ता घर का न घाट का’ की बात कैसे बिना चर्चा रह सकती है। कौन जाने किस परिस्थिति में यह कहावत चलन में आई होगी। (धोबी भाई क्षमा करें चूंकि कहावत में यह शब्द