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कई बार झुकना पड़ा महारानी एलिजाबेथ को

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  यूनाइटेड किंगडम समेत 32 संप्रभु राष्ट्रों की महारानी रही एलिजाबेथ द्वितीय अपने जीवन में मुश्किलों से अछूती नहीं रहीं। बेशक उन्होंने पूरी दुनिया में फ्रांस के लुई चतुर्दशम के बाद सबसे लंबे समय तक राजगद्दी संभाली , 70 साल 214 दिन फिर भी उन्हें अपने जीवन में कई बार भारी असहजता का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें कई बार झुकना भी पड़ा। यह उनका सौभाग्य ही था कि उन्हें अपनी जिंदगी में यह स्वर्णिम अवसर मिला , वरना उन्हें अन्य राजकुमारियों की तरह गुमनाम जिंदगी भी जीनी पड़ सकती थी। वह अपने दादा के शासनकाल के दौरान सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में तीसरे स्थान पर थी। सबसे पहले उनके ताऊ एडवर्ड अष्ठम और फिर इनके पिता जेम्स सिक्स थे। ताऊ की कोई संतान होने से पहले ऐलिजाबेथ पैदा हो गई। उस समय भी उसके महारानी बन जाने के बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा। क्योंकि ताऊ अभी जवान थे और संतान पैदा करके वह उसे उत्तराधिकारी बना सकते थे। 1936 में दादा की मृत्यु हुई तो ताऊ राजगद्दी पर बैठे। लेकिन ताऊ ने तलाकशुदा वालिस सिंपसन से होने वाली विवादास्पद शादी के लिए राजगद्दी छोड़ दी। परिणामस्वरूप जेम्स सि

चीतों से किया जाता था हिरनों का शिकार

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                                            देखिए अब क्या समय आ गया है , नामीबिया से आठ चीते लाकर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय अभ्यारण्य में छोड़ जाने पर देश भर में उत्साह है क्योंकि सात दशक बाद देश में फिर से चीते आए हैं। चीतों के आने के कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस से जोड़कर और महत्वपूर्ण बना दिया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये चीते यहां के वातावरण में पनप पाएंगे। क्योंकि दुनिया भर में इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। दूसरे संरक्षण की अवस्था में ये प्रजनन में रुचि नहीं लेते। विशेषज्ञों के अनुसार मादा चीता एक बार में नौ बच्चे तक को जन्म दे देती है। लेकिन वह साधारणतया तीन से पांच बच्चों को जन्म देती है। नर चीते एक साल में वयस्क तो हो जाते हैं लेकिन बच्चे पैदा करने की स्थिति में तीन साल में आ पाते हैं। और माता चीते दो साल में वयस्क हो जाती है। सब कुछ ठीक रहा तो पुराने दिन लौट भी सकते हैं जबकि चीते यहां हवा की गति से तेज दौडेंगे और गुर्राहट से वातावरण में सिहरन पैदा कर देंगे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश के लिए यह कुछ अजीव सा नहीं है क्या ? क्

उत्तर प्रदेश के हों आठ हिस्से

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                                                                             उत्तर प्रदेश का विभाजन होना चाहिए , इस बात से तो सभी सहमत हैं लेकिन इसके कितने हिस्से हों , इस पर एक राय नहीं हैं। कोई कहता है कि इसके दो टुकड़े हों तो कोई तीन , चार , और पांच हिस्से किए जाने के पक्ष हैं। इसके पीछे उनके राजनीतिक नजरिए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश का विभाजन नागरिकों की सुविधा , उनके विकास की संभावनाओं के मद्देनजर रखकर किया जाना चाहिए न कि राजनीतिक स्वार्स्थलिप्सा के लिए।   राज्य पुनर्गठन आयोग की 1955 में दाखिल रिपोर्ट में आयोग के एक सम्मानित सदस्य केएम पानिक्कर ने उत्तर प्रदेश का विभाजन कर आगरा को राजधानी बनाए जाने की सिफारिश की थी। उसी साल डा . भीमराव अंबेडकर की प्रकाशित पुस्तक थाट्स आफ लिग्विस्टिक स्टेट डिवीजन में तब उत्तर प्र देश की आबादी 6.30 करोड़ बताते हुए इसके तीन टुकड़े किए जाने पर जोर दिया था। उनका स्पष्ट रूप से कहना था कि दो करोड़ की आबादी पर एक राज्य बनाया जाना चाहिए। चौधरी चरण सिंह ने भी उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में छोटे - छोटे राज्य बनाए जाने के लिए ताजिंदगी प्रयास किए। केंद्र में