फिसड्डियों में फिसड्डी भारत
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अक्सर हम अपने देश के बारे में बहुत बड़ी-बड़ी बातें सुनते रहते हैं, जैसे हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं। हम दुनिया की पांचवी आर्थिक शक्ति हैं। अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी के बाद हमारा ही नंबर है। अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़ने से लेकर लंबी दूरी की मिसाइलें और हाइपर सोनिक तकनीक हासिल करने वाले दुनिया के गिने-चुने देशों की कतार में हैं हम । यह सब कहने का लब्बोलुबाब यह है कि हम किसी से कम नहीं हैं। लेकिन यदि हम धरातल पर बात करें, आम जनता की शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और खुशी की बात करें तो हम अपने आसपास के छोटे-छोटे देशों के मुकाबले में भी नहीं टिकते। यदि यह कहें कि हमारा देश फिसड्डियों में भी फिसड्डी है तो कुछ गलत नहीं होगा। हमें अपने देश की बुराई नहीं करनी चाहिए लेकिन सचाई से कब तक मुंह मोड़े रहेंगे। सबसे पहले हम बात करते हैं प्रसन्नता की। जो हर किसी के लिए जरूरी है। यदि हम खूब मेहनत करने और कमाने खाने, बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं खड़ी करने के बावजूद प्रसन्न नहीं हो तो इस सब का क्या मतलब? संयुक्त राष्ट्र ने किसी भी देश के विकास को जांचने के लिए प्रसन्नता का पैमाना 2012