हिंदी दिवस
हम हिंदी भाषी दस-बीस लोगों के बीच कोई अंग्रेजी बोलने लगे तो दबाव में आकर हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं लेकिन चीन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस में ऐसा नहीं है। उन्हें अपनी भाषा पर गर्व है, वे अपना सारा काम अपनी ही भाषा में करते हैंऔर गर्व के साथ करते हैं।
यह तब है जबकि हिंदी अंतरराट्रीय स्तर की भाषा है। विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली तीसरे नंबर की भाषा। वल्र्ड लेंग्वेज डाटाबेस इंथोलोग के 2019 के 22वें संस्करण के अनुसार विश्व में हिंदी बोलने वालों की संख्या 61.5 करोड़, चीन की मंदारिन भाषा बोलने वालों की संख्या 111.7 करोड़ और अंग्रेजी भाषा बोलने वालों की संख्या 113,2 करोड़ है। भारत में हिंदी भाषी सिर्फ केवल दस राज्यों के लोग ही माने जाते हैं। जबकि देश में तमिलनाडु को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में लोग हिंदी को समझते हैं। त्रिभाषा फार्मूले के तहत वहां स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है। पाकिस्तान और बंगलादेश की उर्दू भी हिंदी से मिलती जुलती है, उन्हें हिंदी समझ में आती है। देश के सभी राज्यों में हिंदी साहित्य रचा जाता है. यदि इसे हिंदी में शामिल कर लिया जाए तो हिंदी विश्व में पहले या दूसरे नंबर की भाषा हो सकती है। अमेरिका की अंग्रेजी, ब्रिटेन की अंग्रेजी , कनाडा की अंग्रेजी और कई अन्य मुल्कों की अंग्रेजी में भी थोड़ा बहुत अंतर है। लेकिन इन सभी देशों की भाषा एक ही अंग्रेजी मानी जाती है।
यह सही है कि हिंदी का अपने ही देश में विरोध है। देश की आजादी के पहले से ही हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की कवायद की गई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इसके सबसे बड़े हिमायती थे। उनका मानना था कि हिंदी ही देश को एक सूत्र में पिरो सकती है। लेकिन दक्षिण के कुछ राज्यों द्वारा राजनीति कारणों से इसका विरोध किए जाने के कारण हिंदी राज भाषा ही बन सकी है, ऐसे ही जैसे तमिल. तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ आदि अन्य राज भाषा हैं। हिंदी को राजभाषा का दर्जा संविधान सभा में 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके दिया गया। इसलिए 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी विश्व के तीस से ज्यादा देशों में बोली और समझी जाती है। इनमें से नेपाल में 800000,अमेरिका में 30 लाख से ज्यादा, मारीशस में 685170, दक्षिण अफ्रीका में 890292, यमन में 232760, युंगाडा में 147000, त्रिनिडाड एवं टौबेगो में 47000 , सिंगापुर में 5000 के अलावा सूरीनाम, पाकिस्तान, बंगलादेश, ्िब्रटेन, कनाडा, जापान आदि भी बोली जाती है। यह न्यूजीलेंड में चौथी सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। संयुक्त अरब अमीरात में भी हिंदी बोली जाती है। इसकी राजधानी अबूधाबी के न्यायालयों में इसे 2019 से तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली है। यह 150 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। विदेशों में दो दर्जन से ज्यादा पत्रिकाएं नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित होती हैं। हिंदी के रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात में ‘हम एफएम’, ब्रिटेन में ‘बीबीसी’, जर्मनी में ‘केडोयचे वेले’, जापान में ‘एनएचके वल्र्ड’, चीन में ‘चायना रेडियो’ आदि प्रमुख हैं। विदेशों में हिंदी के पुस्तकालय हैं। यही नहीं न्यूयार्क, शिकागो, वाशिंगटन, लंदन जर्मनी और कनाडा के महाननगरों में शोरूमों और दुकानों के नाम हिंदी में लिखे जाने लगे हैं।
हिंदी को विश्व स्तर पर बढ़ाने के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में इसकी घोषणा की थी। 10 जनवरी 1975 को पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में मनाया गया । इसलिए इस तिथि को चुना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विश्व में हिंदी का गौरव बढ़ाने का प्रयास किया है। उनसे पहले तक के सभी राष्ट्राध्यक्ष विदेशी समकक्षों से अंग्रेजी में बात किया करते थे, मोदी ने इस परंपरा को बदलते हुए हिंदी में बात करना चालू किया है। सरकार द्वारा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनवाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। मारीशस के एक गांव मौका में विश्व हिंदी सचिवालय भी स्थापित है जो 11 जनवरी 2008 से चालू है।
हिंदी का साहित्य विश्व स्तर का है। हिंदी के अनेक कवि और लेखको ंकी रचनाओं का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद है। हिंदी सिनेमा और टीवी चैनल दुनिया भर में देखे जाते हैं। विदेशों में प्रवासियों द्वारा भी हिंदी साहित्य रचा जा रहा है। यह सही है कि भारत में अब हिंदी की बजाय अंग्रेजी पर जोर दिया जा रहा है। महानगर ही नहीं कस्बों और गांवों में लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। बड़े पैमाने पर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुल रहे हैं। पर विदेशों में भी लोग हिंदी पढ़ने की ओर भी उन्मुख हो रहे हैं। यह बाजारबाद है जो सभी को एक से अधिक भाषाएं सीखने के लिए प्रेरित कर रहा है।
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