भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख
डा. सुरेंद्र सिंह केंद्रीय कैबिनेट ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून में सशोधन कर यह संकेत देने का प्रयास किया है कि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ है, उन्हें कड़ा दंड देना चाहती है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर भ्रष्टाचारियों को हतोत्साहित किया जा सके। इसके तहत भ्रष्टाचारियों को सात साल तक और न्यूनतम छह माह से बढ़ाकर तीन साल की सजा का प्रावधान कर दिया है। यही नहीं, भ्रष्टाचार के मामले अब दो साल में निस्तारित किए जाएंगे जबकि अब तक औसत ऐसे केसंों के निस्तारण में आठ साल का समय लग रहा था। कोई दो राय नहीं कि भ्रष्टाचार के मामले में मोदी सरकार के इरादे नेक हैं। वह वैसे भी आये दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते रहते हैं। व्यकिगत तौर पर तो वह सर्वथा बेदाग हैं, पर सवाल यह है कि क्या इतने भर से भ्रष्टाचार पर अंकुश लग पाएगा? याद रहे कि बलात्कार की घटनाएं रोकने के लिए इससे भी अत्यधिक कड़े प्रावधान किए गए हैं। बलात्कार के दोषियों को न केवल आजीवन कारावास बल्कि बलात्कार में मृत्यु और बेहोशी में फांसी तक की सजा की व्यवस्था की गई है। इसके साथ धड़ाधड़ आजीवन कारावास और फांसी की सजा भी सुनाई गईं। नि:सदेह