कोई नवरत्न नहीं थे सम्राट अकबर के
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मुगल सम्राट अकबर की जब-जब चर्चा चलती है तो वह उनके नवरत्नों के बिना पूरी नहीं होती। इतिहास की बहुत सी किताबों में उसके नवरत्नों का जिक्र है। स्कूल-कालेजों की परीक्षा तक में यह सवाल पूछा जाता है। अकबर के नवरत्न कौन-कौन थे? विकीपीडिया से लेकर अन्य सामाजिक साइटों पर इसकी जानकारी भरी पड़ी है। यही नहीं फतेहपुरसीकरी जिसे अकबर ने अपनी राजधानी बनाया, वहां के गुलिंस्ता पार्क में नवरत्नों की मूर्तियां भी लगा दी गई हैं। यह गैरजिम्मेदारी की हद है क्योंकि अकबर के यहां नवरत्न जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं थी। जिन इतिहासकारों ने नवरत्नों का उल्लेख किया है, उन्होंने इसका कोई आधार या प्रमाण नहीं दिया। विकीपीडिया तक पर भी इसका संदर्भ नहीं हैं। कहने का मतलब है कि अकबर के नवरत्नों का सारा मामला हवा हवाई है। नवरत्नों के नामों में भी भेद है। कहीं कुछ है तो कहीं कुछ। ‘विकीपीडिया’ और ‘जागरण जोश’ के अनुसार अकबर के नवरत्नों में राजा बीरबल, मियां तानसेन, अबुल फजल, अबुल फैजी, राजा मान सिंह, राजा टोडरमल, मुल्ला दो प्याजा, फकीर अजीउद्दीन और अब्दुल रहीम खानाखान है