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Showing posts from December, 2020

चौधरी चरण सिंह को कभी गोली मारने के आदेश थे

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                                         क्या आप जानते हैं कि किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को कभी देखते ही गोली मारने के आदेश थे। जी हां, यह  बिल्कुल सही है। देश की आजादी के दौरान वह गांधीजी के निकट थे, उनकी नीतियों पर चलने वाले थे, उन्होंने गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत हिंडन नदीं के किनारे नमक बना कर सरकार का नमक कानून तोड़ा, कांग्रेस का संगठन तैयार किया लेकिन 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान जब ‘करो या मरो’ का नारा दिया गया, एक दौर ऐसा भी आया जबकि उन्होंने भूमिगत होकर गुप्त क्रांतिकारी संगठन बनाने का कार्य किया। तब अंग्रेज प्रशासन ने उन्हें देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। पुलिस उनके पीछे पड़ी थी, गांव-गांव उन्हें ढूंढ़ रही थी लेकिन वे गांवों में ही सभाएं कर निकल जाते थे। आखिरकार एक दिन गिरफ्तार कर लिए गए। डेढ़ साल की सजा हुई।  हम यदि पूरी दुनिया की बात करें तो किसानों की राजनीति अमेरिका और रूस में भी हुई लेकिन  सफल नहीं हो सकी। पर चौधरी चरण सिंह ने किसान राजनीति को इस कदर सफल किया कि उन्होंने देश की राजनीति की धारा ही बदल दी। वे न केवल इस राजनीति के बल पर प्रधानमंत्री के पद

आगरा कभी लंदन से बड़ा था

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                                   आगरा कभी लंदन से बड़ा था। यह बात हर किसी को आसानी से हजम नहीं होगी।  पर यह सौ आने सही है।  रेल्फ  फिच नाम के एक अंग्रेज पर्यटक ने सितंबर 1585 में आगरा भ्रमण के बाद यह निष्कर्ष निकाला था। जाने-माने इतिहासकार आगरा कालेज, आगरा के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष और आगरा विश्वविद्यालय ( अब डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा) के पूर्व कुलपति डा. अगम प्रसाद माथुर ने यह बात अपने एक आलेख में कोड की है,  जो पदमश्री डा. प्रणवीर चौहान द्वारा संपादित पुस्तक ‘समग्र आगरा’ में प्रकाशित है। और कई इतिहासकारों की भी यही राय है। आज लंदन कहां है और आगरा कहां? लंदन  युनाइटेड किंगडम की राजधानी  है,  फिल्मों, उद्योग और व्यापार का बड़ा केंद्र। वह अपने देश का सबसे बड़ा शहर है।  दुनिया के गिने-चुने शहरों में शुमार है। और आगरा अपने देश के एक सूबे उत्तर प्रदेश में भी  कई शहरों से गई-बीती स्थिति में है। यह होता है राजनीतिक का असर। आगरा जब लंदन से बड़ा था तब मुंबई का तो अस्तित्व ही नहीं था। इसे अंग्रेजों ने बाद में अपने व्यापारिक केंद्र के रूप में बसाया। दिल्ली भी आगरा के मुकाबले कही

महिलाओं के सबसे बड़े पैरोकार आंबेडकर

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                                                भारत रत्न डा. भीमराव अबेडकर महिलाओं के सबसे बड़े पैरोकार थे। वह मानते थे कि दलितों की तरह महिलाएं भी एक दबा-कुचला वर्ग है।  महिलाओं को यह जो प्रसूति का अवकाश मिलता है, इसके आदेश उन्होंने ही कराए थे, जब वे वायसराय के सलाहकार थे। दुनिया के कई मुल्कों में महिलाओं को अभी तक मतदान और अनेक अधिकार प्राप्त नहीं हैं।  वह अंबेडकर ही थे जिन्होंने महिलाओं को मताधिकार के अलावा और अनेक अधिकार दिलवाए।  आज जो महिलाएं बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं, वे सब डा. अंबेडकर की ऋणी हैं। डा. आंबेडकर महिलाओं के लिए और भी  बहुत कुछ करना चाहते थे, जिसमें वह उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता लाना चाहते थे। इसके लिए वह हिंदू संहिता विधेयक (हिंदू कोड बिल) लाए थे।  नेहरू तो समर्थन में थे लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद और गृह मंत्री पटेल समेत तमाम सांसदों के विरोध के कारण वे इसमें सफल नहीं हो सके। इससे वह इतने दुखी हुए कि उन्होंंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। यदि डा. अांबेडकर की चली होती तो आज महिलाएं और सशक्त होंतीं। त

गौतम बुद्ध ने आखिर क्यों लिया संन्यास?

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                              कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ गौतम यानि गौतम बुद्ध ने क्यों संन्यास लिया? उस समय की व्यवस्था के अनुसार यह क्षत्रियों का काम नहीं था। ऐसे क्या कारण थे, जिसके कारण उन्होंने राजसी सुख-सुविधाएं त्याग कर अपनी जिंदगी के लिए कांटों भरा पथरीला रास्ता चुना। यह जो कहा जाता है कि  वृद्ध, बीमार और शव देखने के बाद उनका इस दुनिया से मोह भंग हो गया था। राष्ट्रपति रहे डा. राधाकृष्णन ने  अपनी पुस्तक में यही लिखा है। विकीपीडिया और तमाम पुस्तकों में यही जानकारी  है, जो सही नहीं है। वास्तव में उन्होंने बहुत बड़ा त्याग किया था। गौतम बुद्ध ने 563 ईसापूर्व बैसाख पूर्णिमा के दिन मौजूदा नेपाल के कपिलवस्तु राज्य में जन्म लिया। जब संन्यास लिया,तब  उनकी उम्र 29 साल थी। वह कपिलवस्तु के राजकुमार थे। अच्छे पढ़े- लिखे थे, उन्हें दर्शन के सिद्धांतों  का गहरा ज्ञान था।  इसके अलावा वह शस्त्र विद्या में प्रवीण थे, धनुर्विद्या में उन्हें महारथ हासिल था। उन्हें स्वयंवर में देखकर यशोधरा मोहित हो गई थीं। फिर भी अर्जुन की तरह निशाना साधने के बाद ही उनका विवाह हुआ। उनके एक पुत्र भी हुआ, राहुल । बी