आगरा कभी लंदन से बड़ा था

             

                    


आगरा कभी लंदन से बड़ा था। यह बात हर किसी को आसानी से हजम नहीं होगी।  पर यह सौ आने सही है।  रेल्फ  फिच नाम के एक अंग्रेज पर्यटक ने सितंबर 1585 में आगरा भ्रमण के बाद यह निष्कर्ष निकाला था। जाने-माने इतिहासकार आगरा कालेज, आगरा के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष और आगरा विश्वविद्यालय ( अब डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा) के पूर्व कुलपति डा. अगम प्रसाद माथुर ने यह बात अपने एक आलेख में कोड की है,  जो पदमश्री डा. प्रणवीर चौहान द्वारा संपादित पुस्तक ‘समग्र आगरा’ में प्रकाशित है। और कई इतिहासकारों की भी यही राय है।

आज लंदन कहां है और आगरा कहां? लंदन  युनाइटेड किंगडम की राजधानी  है,  फिल्मों, उद्योग और व्यापार का बड़ा केंद्र। वह अपने देश का सबसे बड़ा शहर है।  दुनिया के गिने-चुने शहरों में शुमार है। और आगरा अपने देश के एक सूबे उत्तर प्रदेश में भी  कई शहरों से गई-बीती स्थिति में है। यह होता है राजनीतिक का असर। आगरा जब लंदन से बड़ा था तब मुंबई का तो अस्तित्व ही नहीं था। इसे अंग्रेजों ने बाद में अपने व्यापारिक केंद्र के रूप में बसाया। दिल्ली भी आगरा के मुकाबले कहीं नहीं था।

आगरा जब  लंदन से बड़ा था , तब यह देश की राजधानी था। देश का बड़ा व्यापारिक केंद्र था। आगरा और आसपास के राजाओं ने जन सहयोग से जब मुगलों के लिए मुश्किलें पैदा की तो उन्होंने राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।  अंग्रेजों के लिए भी यहां के लोगों ने मुश्किलें पैदा कीं। नतीजतन आगरा स्टेट की आगरा स्थित राजधानी  और हाईकोर्ट को इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया।  आगरा और आसपास के जिलों ने इसकी कीमत तब भी चुकाई थी और अब भी चुकानी पड़ रही है। यह सिलसिला अभी तक थमा नहीं है। जाने कब तक इसकी उपेक्षा होगी?

आजादी के बाद देश के पहले राज्य पुनगर्ठन आयोग की सितंबर 1955 में पेश रिपोर्ट में उसके एक सदस्य केएम पानिक्कर ने उत्तर प्रदेश का विभाजन कर आगरा को राजधानी बनाने की सिफारिश  की थी। यही नहीं संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री डा. भीमराव अंबेडकर ने भी अपनी पुस्तक-‘थाट्स आफ लिग्विस्टिक स्टेट‘ में उत्तर प्रदेश को जनसंख्या की दृष्टि से बड़ा बताते हुए तीन या चार भागों में बांटने की सिफारिश की थी। उस समय राज्य की आबादी करीब 6.30 करोड़ थी। उनके हिसाब से करीब दो करोड़ की आबादी पर स्टेट होना चाहिए। यदि यह  सलाह मान ली गई होती तो आगरा और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्से आज विकास की दृष्टि से कहीं के कहीं होते। 

इतिहास गवाह है कि विकास का पहिया हमेशा राजनीतिक केंद्र के आसपास घूमता है। मौजूदा समय में आगरा और अलीगढ़ मंडल की आबादी करीब ढाई करोड़  है। डा. अंबेडकर की दृष्टि से यह एक पूर्ण राज्य बनने के लिए उपयुक्त है। हरियाणा और पंजाब जब अलग-अलग राज्य बने, तब इनकी आबादी इससे भी कम थी। 

आगरा और अलीगढ़ मंडल का यह क्षेत्र देश का यह सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र है। ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र आगरा है तो धार्मिक पर्यटन केंद्र मथुरा और वृंदावन हैं। दुनिया  भर में देश की पहचान ताजमहल से है। देश का यह प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। अलीगढ़ के बने ताले देश भर की सुरक्षा करते हैं तो फिरोजाबाद का कांच उद्योग भी बेमिसाल है। जूता निर्यात में भी इसका देश में पहला स्थान है। कारपेट का बड़ा निर्यातक केंद्र है। यहां के फाउंड्री उद्योग का देश की हरितक्रांति में भारी योगदान है। यही नहीं खेती के मामले में भी अग्रणी है। आलू उत्पादन का यह देश का सबसे बड़ा केंद्र है। यह सब किसी राजनीतिक नेतृत्व के कारण नहीं बल्कि यहां के प्रतिभाशाली उद्यमियों और मेहनतकश  किसानों के कारण हैं। 

यदि आगरा और इसके आसपास के क्षेत्र को कुशल राजनीतिक नेतृत्व  मिला होता तो यानि अलग राज्य होता तो अलीगढ़ के ताले, फिरोजाबाद के कांच के सामान दुनिया में परचम फहरा रहे होते। यदि यहां राजधानी होती तो चीन के जूते आगरा में दस्तक नहीं दे रहे होते। यदि यहां राजधानी होती तो चीन के कांच के सामान फिरोजाबाद में जगह नहीं बना पाते। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक इस क्षेत्र को सब्जबाग दिखाने के बाद यहां के लिए घोषित योजनाएं बाहर स्थानांतरित की जाती रहेंगी। जैसे आगरा के लिए घोषित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बुलंदशहर के जेवर में स्थानांतरित कर दिया गया है। दो दशक से ज्यादा पहले आगरा के लिए घोषित आईटी पार्क आगरा की बजाय गोरखपुर में स्थापित किया जा रहा है, तब ऐसा नहीं हो पाता। यमुना एक्सप्रेस वे किनारे प्रस्तावित डिफेंस कोरीडोर बुंदेलखंड में स्थापित की जा रही है। जसवंत सिंह आयोग की सिफारिश पर आगरा के लिए तय हाईकोर्ट की खंडपीठ अभी तक आगरा को नहीं मिली  है। जब तक आगरा और अलीगढ़ मंडल का मिलाकर अलग राज्य नहीं बनेगा, यानी ताज प्रदेश, नाम और कोई भी हो सकता है,  जैसे ब्रज प्रदेश, दोआबा प्रदेश आदि, तब तक यही होगा। इस क्षेत्र के वादकारी इलाहाबाद और लखनऊ में धक्के खाते रहेंगे।  विकास के मामले में यह क्षेत्र हुनर रखने के बावजूद पिछड़ता रहेगा।

इसलिए यदि आगरा और अलीगढ़ मंडल के अपेक्षित विकास चाहिए तो यह अलग ताज प्रदेश बनना ही चाहिए। 





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