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Showing posts from July, 2020

किसान को मिले चार गुनी कीमत

                    नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अच्छे दिनों के वायदे के साथ किसानों को लागत का डेढ़ गुना लाभ देने का वायदा किया था। इसके बाद 2017 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान किसानों को यह लाभ दोगुना तक बढ़ाने का वायदा किया। देश के किसान इस बात के गवाह हंै कि उन्हें यह कोई लाभ दिया जाना तो दूर उल्टे उनकी लागत को और बढ़ा दिया गया । डीजल से लेकर बिजली की दरों, खेती में काम आने वाले उपकरणों, रसायनों, बीजों के दामों में भारी वृद्धि हुई। नतीजतन किसानों की हालत लगातार बद से बदतर हो रही है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं, खेती छोड़ रहे हैं। यदि यही हालात बने रहे तो स्थिति और खराब हो सकती है, कानून अव्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो सकती है। किसानों के बच्चे ही सीमा पर दुश्मन की गोलियों को सीने पर झेलते हैं, जब वे भूखे मरेंगे तो कुछ भी कर सकते हैं। हमारा कृषि प्रधान देश है। यह हमें घुट्टी की तरह पढ़ाया जाता है। पहले 80 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर थे। अब घटकर निर्भरता करीब 70 प्रतिशत रह गई है।  यह आबादी देश की  करीब दो तिहाई है। थोड़े से वोट प्रतिशत के लिए सरकारों की नीतिया

पीवी नरसिंह राव की याद में

                                                                       बात उन दिनों की है जबकि श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन जोरों पर था। आंदोलन के अगुआ और संतों की समिति के तत्कालीन अध्यक्ष वामदेवजी  महाराज आगरा आए हुए थे। पत्रकार ऐसे लोगों को ढूंढ़ते रहते हैं। साथी पत्रकारों से साथ में भी पहुंच गया महाराज जी से बात करने और रामजन्मभूमि आंदोलन के बारे में कुछ नया उगलवाने। उन्होंने सभी का बारी-बारी से परिचय लिया फिर मुझ से शिकायत की कि आप लोग नृत्यगोपालदास जी को बहुत ज्यादा छापते हो। जबकि उनका स्तर उनसे कम है। यह वही महंत नृत्य गोपालदास हैं जिन्होंने उनके बाद संतों के आंदोलन की कमान संभाली। आजकल वह रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष हैं। वामदेव जी बहुत ही विद्वान और वृंदावन के प्रमुख संतों में से एक थे। मथुरा जिले में बरसाना के पास के एक गांव के रहने वाले नृत्यगोपालदास जी उनके शिष्य रहे हैं। उनकी शिकायत सही थी। नृत्य गोपालदास ज्यादा सक्रिय रहते,  मथुरा से खबरें आती, छप जाती।  उस समय ‘आज’ अखबार श्रीराम मंदिर की खबरों को प्रमुखता देता था।  मैंने वामदेवजी को समझाया कि महाराज आप तो संत हैं, श्रीराम मंद