आइंदा भूल न करेंगे


        
         डा. सुरेंद्र सिंह
आदमियों की तरह भूकंप भी भांति-भांति के होते हैं। कोई भूकंप एक दूसरे से मेल नहीं खाता। न शक्ल में, न सीरत में। ऐसे ही जैसे एक दल में, एक शहर में, एक गांव में, एक परिवार में साथ रहकर भी लोगों के विचार आपस में नहीं मिलते। सुंदरता क्षण-क्षण बदलती है, वैसे ही भूकंप भी बदलते रहते हैं।
कोई-कोई भूकंप संतों और भले मानुषों की तरह आते हैं, किसी को कष्ट नहीं पहुंचाते, जैसे आते हैं, वैसे ही चुपचाप बिना आहट के चले जाते हैं। कोई-कोई भूकंप डराते ज्यादा है, मैं भूकंप हूं, डरिए, मेरी सत्ता मानिए। कोई-कोई भूकंप राक्षस की तरह आते हैं, चारों तरफ तबाही ही तबाही।
भूकंप राजनीति में भी आता रहता है। अटलजी एक वोट से सत्ता गंवा बैठे। यह उनके लिए भूकंप से कम नहीं था। मायावती भूकंप की तरह मुलायम की सत्ता को अपदस्थ कर सत्ता में आईं। अखिलेश ने भूकंप की तरह बदला ले बाप की सत्ता को वापस ले लिया। मोदीजी ने भूकंप की तरह सारे विरोधियों को चारों चित्त कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने भूकंप की तरह दिल्ली में उन्हें हिला दिया।
सारे भूकंप अचानक आते हैं लेकिन अपवाद के तौर पर कुछ भूकंप गा बजा कर आते हैं। जैस ेअखबारों का भूकंप।  मजीठिया आयोग रिपोर्ट रूपी भूकंप ने बहुतों की हालत खराब कर रखी है। मालिक लोग बचने के लिए क्या-क्या उपाय नहीं कर रहे? पर बेचारे पत्रकार बेमौत मारे जा रहे हैं। इनसे काम निकालने को तो बहुत हैं लेकिन सहायता के लिए कोई नहीं।
अधिकारियों का तगड़ा भूकंप अप्रैल और जुलाई बीच आता है। लोग महीनोंं पहले से तैयार होते हैं, जो इससे बचना चाहें उन्हें अपनी ऊपरी कमाई का काफी कुछ दांव पर लगाना पड़ता है या फिर धक्के खाने के लिए तैयार रहना पड़ता है। काश नेपाल और अपने यहां वाला भूकंप इसी तरह कुछ ले-देकर मान जाए तो गाज सिर्फ गरीबों पर गिरेगी। गरीबों को वैसे ही कौन पूछता है, बाजार में उनकी कीमत गाजर-मूली से भी गई बीती है।
भूकंप अतुलित बलधामा है, हनुमानजी की तुलना में इसका बल कितना है, यह तो नहीं पता लेकिन हिरोशिमा में हुई बमबारी से नेपाल और भारत में आया भूकंप ४०५ गुना ज्यादा ताकतवर था। २००१ में भुज में आया भूकंप इससे भी ज्यादा ताकतवर रहा होगा। कुछ भूकंप इससे भी ज्यादा ताकतवर हैं। हे भूकंप, तेरी ताकत का कोई पार नहीं है। तेरी कोई सीमा नहीं है, तू सर्वव्यापी है, धरती के अंदर से लेकर बाहर तक। कुछ भी कर सकता है। हमारे केवल दो ही काम कर दे, इस देश का भला हो जाएगा। एक भ्रष्टाचार मिटा दे और दूसरा असमानता दूर कर दे।  देख नेताओं से तो भरोसा उठ रहा है, हनुमानजी को चेक कर चुका, उन्हें खूब चोला चढ़ाया, हर मंगलवार को उपवास भी रखा, लेकिन कोई काम नहीं बना। यह सही है कि हमसे भारी भूल हुई है, हमने प्रकृति की उन सभी बड़ी ताकतों को देवता मान लिया, जैसे सूर्य, अग्नि, आकाश, पानी आदि। लेकिन आपको छोड़ दिया। शायद इसीलिए नाराज हो। कृपा करके हमारे ये दो काम कर दीजिए, हम अपनी भूल सुधार लेंगे, फिर आइंदा कभी भूल नहीं करेंगे।

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