शांति के लिए खतरा

                 
                डा. सुरेंद्र सिंह
पाकिस्तान के आतंकी सरगना जकी उर रहमान लखवी की रिहाई न केवल भारत के जले पर नमक है बल्कि दुनिया की शांति के लिए भी खतरा है। जिस तरह से उसकी रिहाई हुई है, उसने एक बार फिर पाकिस्तान के असली चेहरे को उजागर किया है। इससे यह साबित हुआ है कि पाकिस्तान आतंकवाद को पाले रखना चाहता है।
कहने की जरूरत नहीं कि लखवी भारत के लिए तो मोस्ट वांटेड है ही, क्योंकि वह दिसंबर २००८ के मुंबई आतंकी हमले के चार साजिशकर्ताओं में एक है। इसी ने अजमल कसाब के परिवार को उसके इस कृत्य के लिए डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी थी। न केवल कसाब के बयान बल्कि अनेक तथ्यों से उसकी संलिप्तता प्रमाणित हो चुकी है। यह कश्मीर में आतंकी गतिविधियां चलाने वाले लश्कर-ए-तैयबा का सुपर कमांडर है। मुंबई में हमले के बाद इसी ने कहा था कि अब दिल्ली की बारी है।
यह केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले यह चेचन्या,  बोसनिया, इराक के संघर्षों में भी यह सक्रिय रहा है। यह न केवल पाकिस्तान में आतंकी शिविर संचालित करता है बल्कि हमलों की साजिश भी रचता है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का इसे वरदहस्त प्राप्त है। वर्ष २००८ में पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में आतंकी प्रशिक्षिण केंद्र चलाने के दौरान इसे १२ लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसके मायने है कि पाकिस्तान की नजर में भी यह आतंकी है लेकिन इसे भारत के सुपुर्द नहीं किया गया।
१२ फरवरी २००९ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक के निर्देश पर आतंकी अरोपों की जांच के लिए लखवी को हिरासत में लिया गया था। २५ नवंबर २००९ को पाकिस्तान के एंटी टैररिज्म कोर्ट में इसके ऊपर आरोप लगाए गए जिनमें मुंबई हमले की साजिश का मुख्य आरोप था। इसके बाद १८ दिसंबर २०१४ को पेशाबर में पाकिस्तानी तालिबान द्वारा एक स्कूल पर किए गए आतंकी हमले में १३२ बच्चों के मरने की दिल दहला देने वाली घटना के दो दिन बाद उसे पांच लाख रुपये के बौंड पर जमानत दे दी गई। १९ दिसंबर २०१४ को हाईकोर्ट ने जमानत आदेश को निरस्त कर दिया। तत्समय पाकिस्तान की ओर से भारत को आश्वस्त किया गया था कि लखवी को रिहा नहीं होने दिया जाएगा। इसके बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी ७ जनवरी २०१५ को लखवी की जमानत के मामले मे हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा। इसके साथ ही लखवी का केस हाईकोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया। हाईकोर्ट ने १० अप्रैल को दो लाख रुपये बौंड पर लखवी को रिहा कर दिया। इसके पीछे पाकिस्तान तंत्र की ओर से मामले की प्रबल पैरवी नही किया जाना माना जा रहा है। 
यह पहला मौका नहीं है जबकि पाकिस्तान ने ऐसा किया है। इससे पहले मोस्ट वांटेड आतंकी सरगना लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद के मामले भी ऐसा किया गया। वह भी मुंबई अटैक के साजिशकर्ताओं में से एक है। कुछ सालों पहले इसे भी गिरफ्तार कर छोड़ दिया। तब अमेरिका की ओर से इसके ही सिर पर बड़ा भारी इनाम घोषित कर इसके संगठन को प्रतिबंधित किया गया था। इसके बाद इसके संगठन को पाकिस्तान सरकार की ओर से आर्थिक मदद देकर पुरस्कृत किया गया।  यही नहीं  कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने शरण दी। मुंबई में सीरियल आतंकी हमलों का आरोपी  दाऊद इब्राहीम भी पाकिस्तान की शरण में है। पाकिस्तान उसके बारे में कहते हुए नहीं थकता कि उसके बारे में उन्हें पता नहीं है। इनके अलावा और न जाने कितने आतंकी मगरमच्छ उसके यहां पलते रहते हैं। 
जाहिर है कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का जन्मदाता है और वही उसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगत रहा है। आए दिन स्कूलोंं और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आतंकी हमले होते रहते हैं, जिनमें सैकड़ों की संख्या में निर्दोष लोग मरते ही रहते हैं। पाकिस्तान के हुक्मरान कुछ आतंकी गुटों और उनके सरगनाओं को पनाह देकर इस वक्त अपना राजनीतिक उल्लू सीधा कर सकते हैं लेकिन लंबे समय के लिए यह उनके लिए ही घातक है। आतंकी आतंकी होते हैं, इनका न कोई ईमान है और जाति और मजहब। अपनी इन गतिविधियों के चलते पाकिस्तान लगातार पिछड़ रहा है। विश्व समाज में लगातार उसकी प्रतिष्ठा गिर रही है। आतंकवाद चाहे कहीं का हो, वह पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा है। दुनिया बदल रही है पाकिस्तान को भी बदलना चाहिए। आतंकियों के बल पर देश नहीं चल सकते।

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