कई बार झुकना पड़ा महारानी एलिजाबेथ को


 


यूनाइटेड किंगडम समेत 32 संप्रभु राष्ट्रों की महारानी रही एलिजाबेथ द्वितीय अपने जीवन में मुश्किलों से अछूती नहीं रहीं। बेशक उन्होंने पूरी दुनिया में फ्रांस के लुई चतुर्दशम के बाद सबसे लंबे समय तक राजगद्दी संभाली, 70 साल 214 दिन फिर भी उन्हें अपने जीवन में कई बार भारी असहजता का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें कई बार झुकना भी पड़ा। यह उनका सौभाग्य ही था कि उन्हें अपनी जिंदगी में यह स्वर्णिम अवसर मिला, वरना उन्हें अन्य राजकुमारियों की तरह गुमनाम जिंदगी भी जीनी पड़ सकती थी।

वह अपने दादा के शासनकाल के दौरान सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में तीसरे स्थान पर थी। सबसे पहले उनके ताऊ एडवर्ड अष्ठम और फिर इनके पिता जेम्स सिक्स थे। ताऊ की कोई संतान होने से पहले ऐलिजाबेथ पैदा हो गई। उस समय भी उसके महारानी बन जाने के बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा। क्योंकि ताऊ अभी जवान थे और संतान पैदा करके वह उसे उत्तराधिकारी बना सकते थे। 1936 में दादा की मृत्यु हुई तो ताऊ राजगद्दी पर बैठे। लेकिन ताऊ ने तलाकशुदा वालिस सिंपसन से होने वाली विवादास्पद शादी के लिए राजगद्दी छोड़ दी। परिणामस्वरूप जेम्स सिक्स सम्राट बने और ऐलिजाबेथ उत्तराधिकारी घोषित हो गई। क्योंकि वह अपने पिता की पहली संतान थी। यदि उनका कोई भाई होता तो उत्तराधिकारी की दौड़ में पिछड़ जाती। इस प्रकार वह जेम्म 6 के बाद इग्लैंड की साम्राज्ञी बनी।

 ऐलिजाबेथ को 13 साल की उम्र में ही फिलिप से प्रेम हो गया था जबकि वह शाही नौ सेना महाविद्यालय में गई। इसके बाद दोनों के बीच पत्र व्यवहार शुरू हो गया। 9 जुलाई 1947 को उनकी सगाई की घोषणा की गई। उनकी सगाई भी विवादों से अछूती नहीं रह सकी क्योंकि फिलिप आर्थिक रूप से कमजोर थे और एक विदेशी थे। हालांकि उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में शाही नौसेना के लिए युद्ध में हिस्सा लिया था। लेकिन उनकी बहनों ने नाजी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले जर्मन अधिकारियों से शादी की। इसलिए सम्राट के कुछ सलाहकार फिलिप को ऐलिजाबेथ के लायक नहीं समझते थे। वह बिना साम्राज्य के राजकुमार थे। उनके विदेशी होने पर भी बहुत शोर हुआ। ऐलिजाबेथ की मां भी उसे पसंद नहीं करती थी। यह अलग बात है कि बाद में उनकी धारणा बदल गई।

शादी से पहले फिलिप को एडिनबरा का ड्यूक बनाकर हिज रायल हाईनैस की शाही उपाधि दी गई। इसके बाद ही उनकी शादी 20 नवंबर 1947 को हुई। लेकिन ब्रिटेन में जर्मन विरोधी भावना के कारण फिलिप के जर्मन रिश्तेदारों और उनकी तीनों बहनों को शादी में आमंत्रित नहीं किया गया। यही नहीं राजकुमारी के ताऊ को भी इस विवाह में नहीं बुलाया गया।

1951 के बाद जार्ज 6 का स्वास्थ्य खराब रहने लगा। उनकी अनुपस्थिति में ऐलिजाबेथ उनका प्रतिनिधित्व करती थी। जब वे अक्टूबर 1951में कनाडा की यात्रा पर गईं तो उनकी सहायिका उनके रानी होने का प्रमाणपत्र ले गई ताकि सम्राट की मृत्यु होने पर उन्हें यूनाटेड किंगडम का शासक माना जाए। 1952 के उत्तरार्द्ध में जब वह आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की यात्रा पर थी। 6 फरवरी 1952 को उन्हें सम्राट की मृत्यु की सूचना मिली। तब उन्हें कोई राजसी नाम रखने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया। राजमाता मैरी के 24 अप्रैल को देहांत के बाद दो जून 1953 को ऐलिजाबेथ की इच्छानुसार उनका राज्याभिषेक किया गया।

वह कड़े फैसले लेने से भी नहीं चूकती थी। बहुत दृढ़ इच्छा शक्ति थी, उनकी। 1961 में उन्होंने भारत, साइप्रस, नेपाल, पाकिस्तान और ईरान का दौरा किया। उसी वर्ष घाना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा उनकी हत्या की आशंका जताए जाने पर भी उन्होंने अपना यात्रा कार्यक्रम रद्द नहीं किया? लेकिन1981 में राजकुमार चार्ल्स और लेडी डायना स्पेंसर की शादी से छह हफ्ते पहले टूपिंग द कलर समारोह में महारानी के पास से जब छह गोलियां चलाई गई तो वह घवरा गईं थी। बाद में जांच में पता चला कि गोलियां नकली थीं। गोली चलाने वाले को सजा सुनाई गई 1982 में जब महारानी के बेटे प्रिंस एड्यू फाकलैंड का युद्ध ब्रिटिश सेनाओं की ओर से लड़ रहे थे , तब वह चिंतित रहती थीं लेकिन अपने को गौरवान्वित महसूस करती थीं।

जर्मनी में एक राजसी दौरे के दौरान ड्रेसडेन में क्रुद्ध प्रदर्शनकारियों ने उन पर अंडे फैंके । तब वह परेशान हो गई थीं। जब चार्ल्स और डायना के संबंधों को लेकर अखबारों में खुलासे हो रहे थे और गणतंत्र प्रणाली लागू होने की मांग उठने लगी तब वह तनाव में आ गईं थी। तब उन्होंने ही दोनों को तलाक के लिए कहा था। उन्होंने 1992 को अपने लिए बहुत ही भयावह वर्ष बताया जबकि उनके दूसरे पुत्र एंड्यू और उनकी पत्नी सारा तथा बेटी ऐनी और उसके पति कप्तान मार्क फिलिप के बीच तलाक हो गया।

पेरिस में राजकुमारी डायना की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद वर्मिंघम पैलेस का ब्रिटिश झंडा आधा नहीं झुकाए जाने पर उन्हें जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ा। इस जनआक्रोश के आगे उन्हें झुकना पड़ा। उन्हें डायना के अंतिम संस्कार से एक दिन पहले प्रसारण के जरिए डायना और उसके बच्चों के प्रति प्रेमपूर्ण भावनाओं का इजहार करना पड़ा। तभी जन आक्रोश शांत हुआ।



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