नारदजी की रिपोर्टिंग-2

 


                             


देवर्षि नारदजी यदि हाथरस की घटना की रिपोर्टिंग के लिए आते तो स्थानीय अधिकारी उन्हें आसमान से उतरने के दौरान ही ताक लेते। उन्हें हड़काते-‘‘ उतर, नीचे उतर, नही तो गोली मार देंगे’’। फिर बड़बड़ाते-‘‘ साला... जमीन के रास्ते से गांव में घुसने पर रोक लगा दी है तो आसमान से उतर रहा है, बड़ा सरकस आदमी है’’।  जबरन जमीन पर उतार कर सबसे पहले उन्हेें नक्सली साबित करनेका प्रयास करते। वह वीणा हाथ में लेकर-‘‘ नारायण-नारायण’’ कहते सफाई देते रहते- ‘‘वह तो परलोक से आए हैं’’ फिर भी पुलिस वाले उन्हें घसीटकर थाने में बंद कर देते फिर आपस में सलाह करते, ऊपर रिपोर्ट देते।

परलोक की बात सुनकर सभी आश्चर्यचकित होते,-‘‘ इतनी बड़ी साजिश। अब परलोक में भी योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है’’। इहलोक के मीडिया और विपक्ष को इसकी कानोंकान भनक नहीं लगने देते। देवर्षि की खातिर खुशामद में लग जाते, उन्हें होटल में ले जाते। समझाते- ‘‘भगवानजी को बता देना, यहां  सब कुछ ठीक चल रहा हैं, रामराज्य दोबारा लाया जा रहा है। उनके लिए अयोध्या में जन्म स्थान पर भव्य मंदिर का शिलान्यास हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। विपक्ष तो इसका भी विरोध रह रहा था। अगले लोक सभा के चुनाव के दौरान उसे बनवा देंगे। फिर वहीं पर सारी रिपोर्ट भिजवा दिया करेंगे’’। हाथ जोड़  कर विनती करते‘‘-मुनिवर आपके लिए भी एक आलीशान कक्ष उसमें बनवाएंगे, चिंता न करें तब तक मामले  को संभाले रहिए। आप तो हमारी ही पार्टी के हो’’।

देवर्षि किसी तरह पिंड छुड़ाते। इधर-उधर नजर दौड़ाते तो उनकी आंखें फटी की फटी रह जातीं, पत्रकारों को गांव की सीमा से बाहर कर दिया गया है। विपक्षियों पर भी कड़ी नजर है। एकाध पर स्याही फिकवादी है तो एकाध को पीट दिया है। कई के साथ धक्कामुक्की, जमीन तक पर गिरा दिया है। चारों तरफ पुलिस ही पुलिस है। जितने इंसान नहीं, उनसे ज्यादा पुलिस। ऊपर से कहा जा रहा है कि दंगा कराने के लिए  अंतरराष्ट्रीय साजिश की जा रही है इसलिए परिवारीजनों को बिना दिखाए शव का मध्य रात्रि को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

 वह साथी पत्रकारों से उनके हाल-चाल लेते तो पत्रकार पहले तो उन्हें यही बताते कि अब पुराना जमाना नहीं रहा मान्यवर, जबकि पत्रकारों की  देवी-देवता तक इज्जत करते। अब तो वे आए दिन कुटते-पिचते रहते हैं। फिर पत्रकार गुटों में बंट जाते, कोई पीड़िता का पक्ष लेता तो कुछ  उसे दोषी ठहराते। कुछ अलग ले जाकर बात करते- ‘‘गुरू हमारी भी ऊपर अपने साथ में जुगाड़ करवा दो, यहां गुजारा मुश्किल हो गया है’’। 

 युवती के साथ हुई बहशीपन की घटना पर नारद का पक्ष सुनने के बाद प्रभु  झल्ला उठते- ‘‘क्या कह रहे हो देवर्षि? सठिया गये हो क्या’’?

 नारदजी सफाई देते-‘‘ हे प्रभु, क्या करूं अब तो लोग पीड़िता के परिवार को दोषी बता रहे हैं। गांव और आसपास के ज्यादातर लोग यही कह रहे हैं। क्षेत्र के सांसद भी  आरोपियों के साथ हैं’’?

भगवानजी  हड़काते- ‘‘मैंने आपको यह जानने के लिए नहीं  भेजा था कि कौन क्या कह रहा है। सही-सही पता करिए। सच क्या है? यह कलियुग है। इसमें लोग रस्सी को सांप, सच को झूठ और झूठ को सच साबित कर देते हैं’’। 

भगवानजी  पुन: कहते- ‘‘देवर्षि फिर पृथ्वीलोक पर जाइए और अच्छी तरह छानबीन करके रिपोर्ट दीजिए, जैसे पहले देते रहे हो’’। प्रभु यह कहकर अंतध्र्यान हो जाते और नारदजी ‘‘नारायण-नारायण’’- कहते हुए सच की खोज के लिए चल देते। 


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