गधे के सींग
-डा. सुरेंद्र सिंह
इस कोरोना युग में कुछ लोग बहुत सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता और बुद्धिमता दोनों देखते और दाद देते बन रही हैं। जहां लोग हाथ पै हाथ धरे बैठे हैं। कभी छत पर तो कभी नीचे। कभी आंगन में तो कभी कमरे में। कभी टीवी पर तो कभी फोन पर। पर वे ऐसा बहुत कुछ कर -गुजर रहे हैं जो न भूतो न भविष्यति। ऐसे मौके हमेशा और हर किसी के भाग्य में नहीं। हर किसी के वश में भी नहीं जो दिन दहाड़े किसी की भी आंखों में धूल झोंक सके।
अखबारों में बड़े-बड़े अक्षरों में छपा है कि आन लाइन परीक्षाएं कराएंगे। ऐप्प तैयार है। पहले आवासीय संस्थानों को लेंगे। इसके बाद संबद्ध महाविद्यालयों को। आन लाइन ही फीस ले लेंगे और आन लाइन ही रिजल्ट देंगे, तुरंत दान महा कल्याण । है न कमाल? लौकडाउन चलता है, चलता रहे, उनकी बला से। उनका काम न रुकेगा। आगे की दुनिया इसी तरह से चलेगी। प्रदेश में ऐसा करने वाले वे सर्वप्रथम होंगे। खूब बधाइयां आ रही हैं, मान गए गुरू, आपने तो कमाल कर दिया। एक ही बार में छक्का नहीं अट्ठा मार दिया। अब करे कोई मुकाबला। यह है छठी इंद्रिय का कमाल।
करन सिंह ने पूछा?-‘‘ भाईसाहब आपके यहां आवासीय संस्थानों में कितने छात्र-छात्राएं हैं’’?
-‘‘करीब 2800’’।
-‘‘सबके पास कंप्यूटर है’’?ं
- ‘‘नहीं’’।
-‘‘लैपटाप हैं’’?
-‘‘नहीं’’।
-‘‘ सबके पास स्मार्ट फोन हैं’’?
- ‘‘कह नहीं सकते’’।
पचास प्रतिशत के पास भी नहीं हैं। एक स्टेटिक्स के अनुसार अक्टूबर 2019 में भारत में 34 करोड़ लोगों पर स्मार्टफोन थे। अब तक कुछ और बढ़ गए होंगे। देश की आबादी सवा अरब से ज्यादा है।
-‘‘ फिर सबकी परीक्षा कैसे कराएंगे’’?
फिर भी मान लिया सभी के पास स्मार्ट फोन हैं।
-‘‘सभी छात्र-छात्राओं के फोन नंबर संबंधित टीचरों के पास फीड हैं’’?
यह भी संभव नहीं है फिर भी मान लिया फीड हैं ।
- ‘‘सारे टीचर एप्प को हैंडल करना, उस पर प्रश्नपत्र अपलोड करना जानते हैं’’?
-‘‘ नहीं जानते’’।
फिर भी मान लिया जानते हैं।
अब परीक्षार्थियों के आन लाइन परीक्षा देने की बारी आएगी।
- ‘‘सारे प्रश्न टिकमार्का होंगे या उनमें थ्योरी भी होगी’’?
-‘‘यदि थ्योरी भी होगी तो बोलकर लिखने का एप्प सभी के मोबाइल में है या नहीं है’’?
-‘‘यदि नहीं है तो सब टाइप करना जानते हैं’’?
यह भी मान लिया सबके मोबाइल में लिखने का एप्प भी है और सब टाइप भी कर लेते हैं।
-‘‘ कोई परीक्षार्थी गूगल पर सर्च करके उत्तर लिख सकता है या नहीं’’?
लिखेगा और खूब लिखेगा। जब गूगल पर ही सर्च करके उत्तर लिखा जा सकेगा तो कोई क्यों पढ़ेगा? कोई- कोई तो जो एमए या एमएससी की परीक्षा दे रहा होगा छोटे बच्चे से कहेगा-‘‘ जरा इस प्रश्न का उत्तर सर्च करना, मैं तुम्हें टाफी दूंंगा’’। राम के बदले श्याम भी परीक्षा दे सकेगा।
जब उसी टीचर को परीक्षा लेनी है जो आन लाइन क्लास लेगा तो वह चाहे जैसे अपने बच्चों को पास करे? कोई रोक सके तो रोको।
कोई-कोई तो गुरूजी से ही कहेगा -‘‘सर प्लीज, मेरा पेपर आप ही मोबाइल पर हल कर देना? मेरे पर टाइम नहीं है’’? गुरूजी तो गुरूजी।
यदि ऐसे में कमजोर पास और होशियार फेल हो गए तो? सभी को हंड्रैड प्रतिशत नंबर मिल गए तो ?
अब संबद्ध महाविद्यालयों को लेते हैं,उनकी परीक्षा कौन लेगा? उनके प्रश्नपत्र कौन सैट करेगा? उनके लिए स्मार्टफोन की व्यवस्था कौन करेगा? परीक्षार्थी कालेजों के पास क्यों आएंगे? गूगल तो उनके पास भी रहेगा। ऐसा कौन सा एप्प है जिसमें एक लाख या इससे ज्यादा परीक्षार्थीेएक साथ परीक्षा दे सकेंगे? हरि अनंत हरि कथा अनंता।
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