दरवाजा बंद हो जाए


       डा. सुरेंद्र सिंह
आदमी की पहचान केवल शक्ल-सूरत, पहनावे-ओढावे, बोल-चाल, चाल-ढाल से ही नहीं, दरवाजे से भी होती है। सही पूछी जाए तो सबसे अच्छी, पुख्ता और सटीक पहचान दरवाजे से ही होती है। वैसे तो आदमी की तरह दरवाजे भांति-भांति के होते हंैं-नाटा दरवाजा, मीडियम दरवाजा, बड़ा दरवाजा, विशाल दरवाजा, डिजाइनदार दरवाजा, सादा दरवाजा, टाट का दरवाजा, पुरानी दरी का दरवाजा, लकड़ी का दरवाजा, लोहे का दरवाजा, स्टील का दरवाजा, पीतल का दरवाजा। कुछ लोग घर चाहे कैसा हो लेकिन मुख्य दरवाजा व्यकित्व की तरह प्रभावशाली बनवाते हैं।
वैसे तो किसी दरवाजे की दूसरे दरवाजे से शक्ल-सूरत नहीं मिलती। कुछ दरवाजे एक जैसे दिखने पर भी उनकी भाव-भंगिमाएं अलग-अलग होती हैं।  कुछ दरवाजे एकदम खुले रहते हैं, चाहे कोई आओ-जाओ बेरोकटोक। कुत्ते, बिल्ली और दूसरे जानवर भी उनके यहां सम्मान पाते हैं। वे किसी को भी रोकना अपनी तौहीन समझते हैं, सभी अल्ला की संतान हैं, इसमें भेदभाव कैसा। उन्हें चोरी-चकारी का भी डर नहीं।
कुछ दरवाजे खुलने और बंद होने का इंतजार करते हैं। कोई दरवाजे पर आए तो उसके स्वागत में पलक पांवड़े बिछाकर खुद-व-खुल जाते हैं और अंदर आने पर खुद ही बंद हो जाते हैं। आने वाले का स्वागत और जाने वाले का भी। कुछ दरवाजे हर आने वाले को इंतजार करवाते हैं। भाई दरवाजा है, कोई हंसी खेल नहीं है। आए हो तो थोड़ा रुको, सुस्ताओ। समझो यह दरवाजा है। इसके बाद खुलने पर मान-सम्मान में कोई कमी नहीं है।
कुछ दरवाजे आसानी से नहीं खुलते। घंटी बजने पर पहले वे फौज मेंं भर्ती की तरह कसकर जांच पड़ताल करते हैं, कहां से आए हो, क्यों आए हो? वे आगंतुक से मना नहीं करते, सुविधानुसार किसी से कहते हैं कि साहब नहीं हैं तो किसी को अंदर बुलाने का संदेश दे देते हैं।
कुछ दरवाजे ऐसे भी होते हैं जिन्हें तांक-झांक करने की हर किसी की हिम्मत नहीं पड़ती। दरवाजे पर टिक-टिक की नहीं कि कुत्ता जोर से भोंककर डरा देगा। इसके लिए सबसे बेहतर है कि पहले साहब को फोन करो-‘‘हम फलां आपसे मिलने के लिए आए हैं’’। इसके बाद कोई आपको सुविधानुसार लेने के लिए अंदर आएगा।
कुछ सजीव दरवाजे भी होते हैं। किसी की मुश्किल से मुश्किल समस्या है, उसका दरवाजा खोलने में वे माहिर हैं। चाहे उन्हें कुछ भी करना पड़े लेकिन दरवाजा खोलकर ही मानेंगे। परीक्षा में पास कराने वाले दरवाजे, नौकरी लगवाने वाले दरवाजे, मुकदमे जितवाने वाले दरवाजे। कुछ लोग आदमी के रूप में दरवाजे होते हैं, उनके बाहर से लेकर अंदर तक तांक-झांक की जा सकती है तो कुछ लोग बंद दरवाजे, कितना ही प्रयास करो, उनके अंदर झांक नहीं सकते। कुछ दरवाजे के अंदर छोटे दरवाजे की तरह होते हैं। जैसे जेल में छोटे दरवाजे कैदियों और उनसे मुलाकात के लिए और पूरा दरवाजा जेलर और अन्य अधिकारियों के लिए खुलता है। ये दरवाजे सामने वाले की हैसियत के हिसाब से खुलते हैं।


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