असली फील गुड

     डा. सुरेंद्र सिंह
इसे अपने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का नहले पर दहला कहें या उलटबांसी? कबीरदासजी की उलटबांसी में तो मछली पेड़ोंं पर चढ़ती हैं, समुद्र में आग लगती है। लेकिन जेटली साहब ने वह कर दिखाया है जो कोई नहीं कर सका। आजादी के बाद कितनी ही सरकारें आईं और गईं। कितने ही कानून बने और संशोधित हुए। कितने ही विभाग गठित हुए, बड़े-बड़े अधिकारी नियुक्त हुए और रिटायर हो गए। लेकिन भ्रष्टाचार का कोई बाल बांका नहीं कर सका। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी शायद अब इसलिए शांत हैं कि अब लोकपाल की जरूरत ही कहां रह गई है? लोकपाल तो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए होता। जब भ्रष्टाचार ही नहीं है तो लोकपाल कैसा?
मोदी सरकार एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रही है। अच्छे दिन न सही, महंगाई कम न सही, किसानों को राहत न सही, किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण बिल ही सही, अयोध्या में राम मंदिर न सही, बेरोजगारों को रोजगार न सही, डीजल और पेट्रोल की कीमतों पर कंट्रोल न सही, कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में वापसी न सही, लेकिन भ्रष्टचार तो खत्म किया। राजनीतिक और सरकारी भ्रष्टाचार। बताइए कहीं हुआ? एक साल में और क्या किसी को लूटोगे? कुछ काम दूसरी सालों के लिए भी तो रखने हैं। सारा काम एक ही साल में कर लेंगे तो बाकी चार साल क्या बैठे-बैठे मक्खी मारेंगे या खाक छानेंगे? फिर अगले पांच साल भी तो चाहिए। जो काम पांच साल में करना चाहिए उसे यदि दस साल में किया जाएगा तो और ज्यादा अच्छा होगा। शोध-शोध कर साफ सुथरा, क्वालिटीपरक।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उस दिन ‘आज तक’ के कार्यक्रम में बगलें झांक रहे थे, सरकार बनने से पहले के वायदों को उभार-उभार कर उनकी बोलती बंद किए दे रहे थे। यदि उनकी जगह जेटली साहब होते तो सारी महफिल लूट ले जाते। ‘आज तक’ वाले टापते रह जाते। जेटली हुनरमंद हैंंं, भ्रष्टाचार का ‘सांप भी मर गया और लाठी भी न टूटी’।
मोदी चाहें तो अपने काबिल वित्त मंत्री के २२ मई के उपलब्धियों से संबंधित बयान को कोड कर सकते हैं-‘‘एक साल में ही राजनीतिक और सरकारी भ्रष्टाचार खत्म कर दिया है’’। इसके आधार पर बाहर के देशों के निवेशकों को अपने देश के लिए आकर्षित कर सकते हैं। भाजपा के कार्यकर्ता सरकार की उलब्धियोंं में इसका प्रमुखता से बयान कर सकते हैं। करना चाहिए, यह देश के वित्त मंत्री का बयान है, किसी ऐरा-गैरा नत्थू खैरा का नहीं। यह असली ‘फील गुड’ है। विधान सभाओं के चुनावों में भी यह मंत्र काम आएगा, संभाल कर रखना।

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