यूपी बोर्ड का रिजल्ट

            
            डा. सुरेंद्र सिंह
यूपी बोर्ड का रिजल्ट जब-जब आता है, तब-तब न कुछ न कुछ अपना निशान छोड़ जाता रहा है, जैसे-बाढ़, भूकंप, चेचक, पैरालेसिस आदि। बाढ़ के बाद मकानों की दीवारों पर चिन्ह रह जाते हैं, लोग उंगली के इशारे से बताते हैं, यहां तक पानी चढ़ा था। भूकंप में भी निशान बनते हैं, वे अलग तरह के होते हैं। आप कहेंगे कि इसमें तो तबाही ही तबाही है, तमाम लोग मारे जाते हैं। लेकिन सब  जगह तो नहीं। कहीं-कहीं एकाध की जान लेकर भूकंप बाकी को बख्श देता है। रिजल्ट में भी हर वर्ष अनेक बच्चों को लील जाता है। रिजल्ट में कम नंबर दिखे झट जान दे दी, जान न हुई गाजर-मूली हो गई। कंबख्तो, ऐसे क्यों करते हो, रिजल्ट तो हर साल आता है, तकरीबन एक ही समय पर । पहली बार में न सही तो अगली बार में सही। यह कोई कुंभ थोड़े ही है जो बारह साल में आएगा। जो घोड़े से गिरता है वही तो सवारी करता है। फेल नहीं होंगे तो पास कैसे होगे? मत भूलें, फेल भी कभी-कभी टॉपर हो जाते हैं ।
चेचक शरीर पर दाग छोड़ जाती है तो पैरालेसिस का असर भी रह जाता है। ऐसे ही निशान रिजल्ट के होते हैं।  पहले हाईस्कूल में पास होना भारी मुश्किल था।  तब हाईस्कूल करना अपने में अहमियत रखता था। लोग तीन-तीन, चार-चार बार फेल होते रहते थे। चौथी या पांचवी बार पर घर वाले विराम लगा देते थे, -अब बहुत हो गया, खूब कोशिश कर ली, चल, घर के कामकाज संभाल। बन गया न निशान। ताजिंदगी वह इसे याद रखेगा, हमने फलां सन् तक हाईस्कूल की पढ़ाई की। एक बच्चे को इंटरमीडिएट में कस के मेहनत कराई। आईआईटी में दाखिला जो दिलाना था। जब रिजल्ट देखा तो अखबार में नाम ही नहीं दिखा। चाचा ने आदेश दिया -‘‘इसकी कंबल परेड करो, हरामखोर कहीं का, कुनबे का नाम मिट्टी में मिला दिया’’। ऊपर से कंबल डालकर घर के सब लोगों ने उसकी खूब मराई की। इस बीच पड़ोस का बच्चा अखबार लेकर दौड़ा-दौड़ा आया- ‘‘इसका नाम तो पहले पेज पर है, यूपी में चौथे नंबर पर ’’। फिर एक लात और दी, ‘‘साला ढंग से अखबार भी नहीं देख सकता’’। बताइए, कोई ऐसी घटना को जिंदगी भर भूल सकता है?
पहले गांवों में एकाध बच्चा पास होता, बाकी फेल। जो पास होता, उसके घर दिवाली मनती, फेल वालों के यहां मुर्दनी छा जाती। कुछ बच्चे फेल होने पर भी पास होने की सूचना देकर मिठाई बंटवा देते। कम से कम इस वक्त तो जलालत से बचो। बाद की बाद में देखी जाएगी। फिर याद किसे रहता है, कौन फेल हुआ, कौन पास।
अब थोड़ा जमाना बदला है,  चाहे किसी की मेहरबानी से सही लेकिन अब ज्यादातर बच्चे पास ही होते हैं। जो पढ़ते नहीं वे ज्यादा नंबर ले आते हैं और जो थोड़ा बहुत पढ़ते हैं, वे कम नंबर। एक कालेज वाले रिजल्ट से पहले ही छात्रों के पास एडमीशन को पहुंंच गए। किसी ने कहा, ‘‘पहले रिजल्ट तो आने दो गुरूजी,’’ दूसरे ने झट जबाव दिया, ‘‘पास तो हो ही जाएगा, अब कौन फेल होता है? जिसकी सब जगह से फूट गई होगी, वही फेल होगा, इसलिए दाखिला कर लेते हैं’’।
यूपी बोर्ड का रिजल्ट अब पूर्वानुमान से और एक बंधी बंधाई लीक से आता है। रिजल्ट में लड़कियों को लड़कों को पछाड़ना है तो पछाड़ना है।  फलां कालेज की छात्राओं और छात्रों को टॉप टेन सूची आना है तो आना है। कभी-कभी कोई शूरवीर कालेज लीक तोड़ पाता है।
     
 

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