जुग जुग जियो योगी जी

                
                                 -डा. सुरेंद्र सिंह
महिलाएं खासतौर से बूढ़ी-बड़ी खुश होंगी। दुआएं दे रही होंगी- जुग-जुग जियो योगी जी। अब सबको जो मुंह ढंकने होंगे। चाहे आदमी हो या औरत। घर से बाहर निकलो तो ढको, चाहे मास्क लगाओ, चाहे गमछा, दुपट्टा या और कुछ भी लेकिन मुंह ढंकना ही होगा। ये योगीजी का राज है, बकरी और शेर एक ही घाट पर पानी  पिएंगे। सबके लिए एक ही सिविल कोड।
जो चेहरा नहीं ढके, वह भरे जुर्माना। पहली बार में सौ रुपये, दूसरी बार में सौ से पांच सौ और तीसरी बार सीधे पांच सौ। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम। इससे न केवल कोरोना  भागेगा, और बहुत से  बिगड़े काम बनेंगे।  एक पंथ दो काज कहो अथवा एक पंथ  अनेक काज।
लौकडाउन के चक्कर में सरकार की आमदनी घटी है।  वह सुधर सकती है। चाहे जितने आदेश कर लो, खूब अखबारों में इश्तिहार छपवालो। यूपी वाले तो मानने से रहे। हेलमेट के आदेश को ही ले लो। कोर्ट से लेकर सरकार तक आदेश कर करके थक गए।  खूब चालान काटे। जब सब उसे ही नहीं मानते तो  इसे क्यों मानेंगे। इसी का इंतजार है। पुलिस के भाई लोग कुछ दिनों से सूखे चल रहे हैं, उनकी भी दसों उंगलियां घी में होंगी।
विपक्षी लोग सभाएं बुला कर जोर-जोर से भाषण देते थे, पानी पी पी कर मोदी और योगी को कोसते थे। अब दे लो भाषण। मास्क लगाना होगा, तभी बोल पाओगे। ऐसे ही श्रोता भी मास्क लगाए होंगे। पता ही नहीं चलेगा कि भाषण अखिलेश भइया दे रहे हैं या और कोई। पास में कोई ऐसा नहीं होगा जिसे कोहनी मारकर पूछ सकें। सोशल डिस्टेसिंग के तहत सब दूर-दूर होंगे। अखबार वालों को भी मास्क वाले फोटो लगाने होंगे वरना आदेश के उल्लंघन में वे और नेताजी दोनों फंसेंगे।  नेताजी अनुरोध किया करेंगे कि भाई मास्क वाला ही फोटो लगाना। पानी पीने के लिए जो मुंह खोला था, उसे हटा देना। 
मध्यम और निचले स्तर के लोग  रिश्ता तय करने के लिए लड़का और लड़की पार्कों में बुलाकर एक दूसरे से परिचय कराते हैं। अब भी उन्हें पार्कों में ही आना होगा। वे मास्क लगाकर आएंगे। दोनों थोड़ी देर के लिए मास्क ऊपर उठाएंगे फिर बंद कर लेंगे। अथवा  पुलिस वालों से जुगाड़ करेगे भाई ज्यादा देर मुंह खोल लेने दो। 
कुछ नौजवान मन मसोस कर बैठे हैं लौक डाउन खुलते ही पहले की तरह चौराहों पर, कालेजों के प्रवेश द्वारों, मार्केट में वालाओं को लाइन मारें। भूल जाइए बच्चू। सब कोई मास्क लगाए होंगे। कौन किसे पहचानेगा?  अधेड़ जवान जैसी दिख सकती है, जवान अधेड़ की तरह। इनकी निगरानी के लिए पुलिस की तैनाती से भी छुट्टी।
कुछ बड़े अधिकारी इस बात का खास खयाल रखते हैं कि उनकी बैठकों में निचले स्तर का कोई अफसर तो नहीं आ गया? यदि कोई भूल से भी आ जाए तो फटकार के भगा देते हैं। स्टेटस का उन्हें बड़ा खयाल रहता है। अब फटकार के दिखाएं। अधिकारी के स्थान पर मास्क पहनाकर बाबू को बैठा दीजिए। काम चल जाएगा। किसी का मास्क हटाकर तो चेक करने से रहे। 
यह आदेश अभी केवल और केवल यूपी के लिए है।  चाहे यूपी में जब लोग मास्क लगाते-लगाते बोर होंगे तो थोड़ी देर के लिए गाड़ियां लेकर सीमा से लगे दूसरे प्रांतों में बिना मास्क वाली खुली हवा खाने के लिए चले जाया करेंगे। यह एक अलग तरह का पर्यटन हो सकता है। इसके प्रचार के लिए सीमाओं पर बड़े -बड़े होर्डिंग लगाए जा सकते हैं। 
मास्क का तो व्यापार बढ़ेगा ही। रेस्टोरेंट वाले, कपड़े की दुकान और कुछ स्वर्णकार भाई जो पेट पालने को  सब्जी बेचने पर पुलिस की मार खा रहे हैं, वे ठेल पर रखकर मास्क बेचें। कोई नही मारेगा, पुलिस वाले भी बिकवा देंगे। सब्जी कोई ले अथवा नहीं ले। बिना इसके भी काम चल सकता। सब्जी एक बार खाकर काम चला लेंगे लेकिन मास्क हर वक्त चाहिए। फिर यह बासी नहीं होता है और सड़ता भी नहीं है। देख लेना इस मार्केट में बड़े बड़े आने वाले हैं, जो नमक बेच सकते हैं, वे  इसे क्यों छोड़ेंगे। जो पहले बाजी  मारे सो मीर। 






Comments

  1. लड़कों और पुरुषों को ज्यादा दिक्कत होगी... महिलाएं और लड़कियां तो बतौर स्टेटस सिंबल ही सही, चेहरे को दुपट्टे से ढक कर पहले से ही चलती हैं.. फिर भी भला हो कोरोना का जिसने सभी को चेहरा ढकने की परम्परा अपनाने को विवश कर दिया है... पुलिस की दसों उंगलियां हमेशा ही घी में रहती हैं.. मास्क के नाम पर भी उनकी कमाई हो जाएगी.... हा हा हा....

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