सात सौ करोड़ का ब्याय फ्रैंड

सात सौ करोड़ का ब्याय फ्रैंड
डा. सुरेंद्र सिंह
भाई लोग छह महीने से ढूढ़ रहे थे, कुंओं में बांस डाल रहे थे, खाक छान रहे थे, घर-घर अलख जगा रहे थे। लेकिन मुआ कुछ मिल ही नहीं रहा था। जाने कितनी बार अपने लोगों को प्रोत्साहित किया, जल्दी लाओ खोज के, पुरस्कार मिलेगा।  डांट भी लगाई,- ‘‘निकम्मो, कुछ करो, हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे तो टापते रह जाओगे। फिर कुछ हाथ नहीं आने वाला’’।
आखिर सफलता मिली ‘जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी बैठ....’। समय तो लगा पर मन की कुछ मुराद पूरी हुई, लो मिल गया- पूर्व आईपीएल अध्यक्ष ललित मोदी का मामला। सुषमाजी भ्रष्टाचार के मामले में बहुत बड़ी-बड़ी बातें करती थीं, ‘अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे’। दीजिए इस्तीफा। सबसे सरल और बड़ी मांग यही है। भूल गए क्या? इन्होंने भी तो खूब मांगे थे, इस्तीफे। जरा सी कोई बात हो, दो इस्तीफा, मनमोहन सिंह तक का इस्तीफा मांगा गया था।  मोदी पर क्रिकेट के भ्रष्टाचार और मनी लाड्रिंग आरोपों के चलते बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगाया था। सात सौ करोड़ के घपले के अरोपी को विदेश मंत्रालय ने विदेश जाने की अनुमति दी है। कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है। पचास करोड़ की गर्लफ्रैंड बड़ी या सात सौ करोड़ का ब्याय फ्रैंड?  यह एक भ्रष्टाचारी से मिलीभगत का मामला है। यह इतना बड़ा है, इसमें प्रधानमंत्री मोदी की भी सहमति हो सकती है, मोदी से मोदी का लिंंक अच्छा बनता है। सुषमाजी चिल्ला रही हैं, -भाइयो, बहनो, -‘‘मैं निर्दोष हंू, मैं जेपीसी से जांंच कराने तैयार हूं। सरकार मामले की जेपीसी से जांच कराए’’। लेकिन कोई सुनता है। कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो सबके काम आते हैं। पहले कांग्रेस के काम आए अब वे भाजपा के साथ हैं। कांग्रेसनीत सरकार ने भी तो टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की जेपीसी से जांच कराई थी। जब जेपीसी उस मामले में आज तक कुछ नहीं कर सकी, तो इस मामले में क्या करेगी? भुट्टा या बाबाजी का ठुल्लू।
चले थे एक साल की उपलब्धि  का जश्न मनाने। अच्छे दिनों की जगह अपनी सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त बता रहे थे। मना किया था, जश्न-वश्न मत मनाओ, वैसे ही साल को चुपचाप गुजर जाने दो। ग्रह कुछ अच्छे नहीं चल रहे, क्या पता किसी की नजर लग जाए। लेकिन नहीं माने। क्या हुआ? लो पकड़े गए, बच्चू। इस राजनीति रूपी काजल की कोठरी में कोई दूध का धुला नहीं रह सकता। भ्रष्टाचार की इस सरिता से अभी और भी मगरमच्छ निकल सकते हैं। थोड़ी बहुत नहीं, अभी तो पूरे चार साल बाकी हैं।
तू उसके भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा खोल, अपनी कमीज उजली बता। वह तेरा कच्चा चिट्ठा खोल अपनी कमीज उजली बताएगा। इसी में वक्त कटता जाएगा। बारी-बारी से दोनों को समय मिलता जाएगा। कुछ करने की जरूरत ही कहां है?

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