बेड़ा गरक-8

डा. सुरेंद्र सिंह
कई दिन से मुरछाए डा. गनेश सिंह के चेहरे पर सुरमई रौनक सी है, जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गई हो। मैनेजर साहब पूछते हैं क्या बात है, कुछ हुआ? वह उत्साह के साथ जवाब देते हैं, -‘‘पांच-पांच में पच्चीस तय कर दिए हैं। इसी तरह दो-तीन और मामले फंस जाएं तो अपना बेड़ा पार’’। -शाबाश। इसी तरह लगे रहो’’। -‘‘सर कल ही पैसे भुगतान करने होंगे’’। -‘‘चिंता मत करो’’। अगले दिन जब वे वापस आते हैं तो चेहरे पर १२ बज रहे होते हैं। मैनेजर को हालचाल पूछने की जरूरत नहींं होती, चेहरा सारा बयान कर देता है। डाक्टर साहब के मुंह से बड़ी मुश्किल से निकलता है, -‘‘दूसरे लोग १२-१२ में सबको तोड़ ले गए सर’’।
यह वाक्या यूपी बीएड काउंसलिंग का है। रोज ऐसे चमत्कारिक और इससे बढ़कर वाक्ये हो रहे हैं। एक तो जितनी कुल सीटें हैं, उससे कम ने बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा दी। इसके बाद उनमें से आधे से भी कम प्रवेश लेने के लिए काउंसलिंग केंद्रों पर आ रहे हैं, नतीजतन सभी कालेजों की सीटें खाली रहना स्वाभाविक हैं। इसलिए बीएड सीटें भरने को मारामारी मची है। ऐसी कुटिल चालें महाभारत में भी नहींं चली होंगी, जो इस वक्त चल रही हैं। बड़े-बड़ों के पैरों तले की जमीन हिल रही है। लोगों ने कानून कायदे ताक पर रख दिए हैं। एक ही नारा है, कैसे भी लाओ, सीटें भरो।
अनेक कालेजों के प्रबंधन ने शासन से निर्धारित फीस आधे से भी कम कर दी है। इसके अलावा बिना कक्षा में आए पास कराने, अच्छी परसेंटेज बनवाने तक की गारंटी देना शुरू कर दिया है। अनेक मीडिएटर सक्रिय हो गए हैं। विपत्ति में भगवान की तरह अब इन्हीं का सहारा है। ये नहीं हो तो कुछ कालेजों को एक भी सीट नहीं मिले।
इस बहती गंगा में कुछ छात्र भी हाथ धोने से चूक नहीं रहे। सब्जी मंंडी की तरह कालेजों के फड़ों पर जा-जाकर पूछ रहे हैं-‘‘आप कितनी छूट देंगे?’’-‘‘आप कितनी चाहते हो?’’ -‘‘पहले आप बताइए?’’ -‘‘आप भी अपनी ख्वाहिश बताइए?’’ कुछ छात्र अपने साथियों का भी सौदा करते घूम रहे हैं। -‘‘हमारे साथ चार स्टूडेंट है, क्या मिलेगा?’’
एक छात्र एक कालेज के मैनेजर से इस अंदाज से मिलता है। उसने पूछा =‘‘आपके कालेज में क्या छूट मिलेगी?’’ -‘‘पांच हजार कम ले लेंगे;;। -‘‘इसके अलावा क्या मिलेगा?’’ -फीस के अलावा कोई अतिरिक्त फीस नहीं लेंक्टिकल और फाइल बनाने के भी नहीं?’’- ‘‘ हरिगज नहीं’’। -‘‘हाजिरी कम हों तो उसका क्या लेंगे?’’- ‘‘कुछ नहीं’’। -‘‘और क्या सुविधा देंगे’’? -‘‘अच्छी पढ़ाई कराएंगे’’। -‘‘और क्या सुविधा देंगे?’’ पाठ्य पुस्तकें फ्री दे देंगे’’। -‘‘और क्या देंगे?-’’ बस्ता दे देंगे, -‘‘अच्छी परसेंटेज बनवा देंंगे? -‘‘हां’’। -‘‘इसके अलावा और क्या देंगे?’’ मैनेजर को गुस्सा आया-‘‘पांच जूते’’।

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