लंबाई बढ़ाने का अचूक तरीका

 



 बच्चों की लंबाई को लेकर आजकर बहुतों की नींदहराम है न दिन में चैन है और नहीं रात को। हर दम चिंता सताए रहती है। भगवान की कृपा से उनके घर में सब कुछ है एक यही कमी उन्हें खाए जा रही है। इसके लिए वह क्या-क्या नहीं कर रहे। बहुत से लोग बच्चों को घंटों तक पेड़ पर लटका देते हैं। हाथ-पैरों को बांध कर खींचते हैं। और न जाने कितने टोटके करते हैं ये सब वाहयात काम हैं। इनसे सिवाय नुकसान के कुछ नहीं होना । बाजार में तरह-तरह की कैमिकल दवाएं हैं। वे भी भरोसे की चीज नहीं हैं। लंबाई केवल और केवल भोजन से बढ़ाई जा सकती है।

इस बात के भी कोई खास मायने नहीं कि पति या पत्नी में से कोई छोटा है तो बच्चे छोटे होंगे। छोटे कद के मां-बाप के भी लंबे बच्चे हो सकते हैं। शरीर की लंबाई का सीधा संबंध भोजन से है। जैसे अच्छे दिमाग के लिए अच्छा भोजन चाहिए, उसी तरह अच्छी लंबाई के लिए भी अच्छा भोजन चाहिए।अच्छे भोजन का मतलब घी, दूध काजू-बादाम से नहीं है जैसी की लोगों में मान्यता है।

आप कहेंगे तो फिर क्या है? ध्यान दीजिए भोजन के छह प्रमुख तत्व हैं। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण और पानी। इनमें से शरीर की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण है प्रोटीन। यह न केवल शरीर की वृद्धि करती है बल्कि टूट-फूट की भी मरम्मत करती है। दूसरे है पायरीडौक्सिन यानि विटामिन 6, विटामिन बी 12, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन डी। पर्याप्त प्रोटीन मिलने पर भी यदि ये विटामिन खाने में नहीं है तो भी लंबाई कम रह सकती है। इसलिए चेक कर लें कि भोजन में इन विटामिन की कमी तो नहीं है। यदि कमी हो तो बिना देर लगाए इन्हें लेना चालू कर दें।

 ध्यान रखें कि इनमें पायरीडौक्सिन पिट्यूटरी ग्रंथि को स्वस्थ करती है। यह ग्रंथि ही शरीर की लंबाई को नियंत्रित करती है। इसके अलावा लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण और नाड़ी संस्थान के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विटामिन बी 12 प्रोटीन के पाचन और लाल रक्त कणिकाओं के परिपक्व होने में सहायक है। विटामिन सी लाल रक्त कणिकाओं के परिपक्व होने और अस्थिमज्जा के विकास के लिए आवश्यक है। विटामिन ए अस्थियों के विकास, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए जरूरी है। विटामिन डी शरीर की वृद्धि के लिए आवश्यक है।

 इसका मतलब यह कतर्ई नहीं है कि कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण और अन्य विटामिन नहीं लें। सभी लेनी है उचित मात्रा में। लेकिन प्रोटीन, विटामिन बी 6, बी 12, ए और डी पर ज्यादा ध्यान देना है। ये सारे विटामिन और प्रोटीन हमारे रोजमर्रा के खाने-पीने की वस्तुओं में मिल जाते हैं। कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं हैं। जैसे प्रोटीन दाल, मूंगफली, खोआ, पनीर, गेहूं के आटे, बादाम, काजू, दूध, दही में मिल जाती है। महंगी चीज पर ध्यान नहीं दें। मूंगफली में काजू और बादाम से भी ज्यादा प्रोटीन है। चने की दाल से ज्यादा उड़द और उससे भी ज्यादा अरहर की दाल में प्रोटीन मिलती है। लेकिन पशु से मिलने वाली प्रोटीन ज्यादा श्रेष्ठ मानी जाती है। यह मांस, दूध, दही, अंडा आदि में मिलती है। विटामिन विटामिन बी 6 गेहूं की भूसी, गेहूं के भ्रूण,, हरी पत्तेदार सब्जियों, मक्खन रहित दूध, तिलहन में मिलती है। भूसी अलग से नहीं खानी है। आटे का भूसी समेत इस्तेमाल करें। विटामिन बी 12 यकृत, मछली, पनीर में उपलब्ध है ।

जबकि विटामिन सी सबसे ज्यादा आंवला, उसके बाद अमरूद और इसके बाद नीबू, संतरा, अनन्नास, पपीता और टमाटर में भी है। विटामिन ए के सबसे अच्छे स्रोत दूध, अंड़े का पीला भाग, घी, मक्खन, पत्ता गोभी,, मैंथी की पत्तियां, हरा धनिया, सहजन की पत्तियां, चौलाई की पत्तियां, पालक, मूली की पत्तियां, पोदीना, कद्दू, गाजर और पका आम हैं। विटामिन डी हमें मक्खन, तेल, अंडे की जर्दी और दूध, मछली के तेल से मिल सकती है। इसके अलावा सूर्य की धूप में हमारा शरीर भी यह विटामिन बना लेता है। शरीर में त्वचा के नीचे मौजूद रहने वाला 7डी हाइड्रोकोलस्ट्राल सूरज की रोशनी में विटामिन डी में बदल जाता है।

 


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